लालकुआं।
बिंदुखत्ता को वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006 के तहत राजस्व गांव घोषित करने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। बिंदुखत्ता वन अधिकार समिति के पदाधिकारियों ने प्रदेश के नवनियुक्त मुख्य सचिव एवं FRA निगरानी समिति के अध्यक्ष आनंद वर्धन से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने आग्रह किया कि बिंदुखत्ता की ऐतिहासिक बसासत को ध्यान में रखते हुए FRA के तहत दावे को स्वीकृति दी जाए।

समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि बिंदुखत्ता की बसासत 1932 से पूर्व की है, इसके बावजूद अब तक क्षेत्र को राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिल सका है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक यह मांग बार-बार उठाई जाती रही है, और उत्तराखंड राज्य गठन के बाद सभी मुख्यमंत्रियों ने इसे राजस्व गांव बनाने की घोषणा भी की, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
वन अधिकार समिति के सचिव भुवन भट्ट ने बताया कि खंड स्तरीय और जिला स्तरीय समिति से बिंदुखत्ता के राजस्व गांव दावे को स्वीकृति मिल चुकी है, और फाइल शासनादेश के लिए शासन को भेजी जा चुकी है। परंतु यह फाइल राजस्व विभाग द्वारा वन विभाग को भेज दी गई, जो कि वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिला स्तर से फाइल पास होने के बाद आगे कोई औपचारिकता शेष नहीं रह जाती।
मुख्य सचिव आनंद वर्धन से मुलाकात के दौरान समिति के पदाधिकारियों ने विस्तृत चर्चा की। मुख्य सचिव ने अधीनस्थ अधिकारियों को इस मामले में आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
ज्ञापन देने वालों में वन अधिकार समिति के सचिव भुवन भट्ट, सदस्य उमेश चंद्र भट्ट, कविराज धामी प्रमुख रूप से शामिल रहे।
समिति ने सचिवालय में राजस्व सचिव, अपर सचिव सहित संबंधित अनुभाग अधिकारियों से भी मुलाकात कर बिंदुखत्ता के राजस्व गांव दावे की फाइल की स्थिति की जानकारी ली।
चित्र परिचय- मुख्य सचिव आनंद वर्धन को ज्ञापन सौंपते बिंदुखत्ता वन अधिकार समिति के पदाधिकारी।