बिंदुखत्ता को राजस्व गाँव बनाए जाने की माँग पर अब भी नहीं हुई ठोस कार्यवाही: यशपाल आर्य ने सरकार पर साधा निशाना
लालकुआं।
उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान बार मामला उठाए जाने के बावजूद बिंदुखत्ता को राजस्व गाँव घोषित करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर प्रतिपक्ष नेता यशपाल आर्य ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस संवेदनशील और जनभावनाओं से जुड़े मुद्दे की जानबूझकर अनदेखी कर रही है।
श्री आर्य ने बताया कि उन्होंने स्वयं और धारचूला के विधायक हरीश धामी ने विधानसभा में बिंदुखत्ता का मुद्दा उठाया था। यहाँ तक कि सत्तारूढ़ दल के विधायक महंत दिलीप रावत ने भी अपने वक्तव्य में बिंदुखत्ता को राजस्व गाँव का दर्जा देने की पैरवी की थी। इसके बावजूद सचिवालय में वर्षों से लंबित पत्रावली पर कोई निर्णायक कार्यवाही नहीं की गई है।
इस विषय पर वन अधिकार समिति के सचिव भुवन भट्ट ने प्रतिपक्ष नेता को अवगत कराया कि बिंदुखत्ता क्षेत्र में 80,000 से अधिक लोग निवास कर रहे हैं, जिनका बसावट इतिहास वर्ष 1932 से पूर्व तक फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता का उल्लेख स्वयं वन विभाग के पुराने अभिलेखों में मिलता है।
श्री भट्ट ने यह भी बताया कि जब बिंदुखत्ता को रिज़र्व फॉरेस्ट घोषित किया गया था, उस प्रक्रिया से संबंधित कोई वैध आदेश, शासनादेश अथवा अभिलेख वर्तमान में न तो उत्तर प्रदेश वन विभाग के पास उपलब्ध हैं और न ही उत्तराखंड वन विभाग के पास। सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत इन दस्तावेजों की माँग किए जाने पर भी संबंधित विभाग केवल समय टालने का कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि बिंदुखत्ता को राजस्व गाँव घोषित किए जाने का प्रस्ताव जिला स्तर पर स्वीकृत हो चुका है और अब केवल सचिवालय स्तर की औपचारिकताएँ शेष हैं। लेकिन यह पत्रावली वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के दायरे में लाकर जानबूझकर लंबित रखी जा रही है, जबकि यह मामला स्पष्ट रूप से वन अधिकार अधिनियम (FRA) के अंतर्गत आता है। यह स्थिति FRA के प्रावधानों की सीधी अवहेलना है।
इस गंभीर स्थिति की जानकारी मिलने के बाद प्रतिपक्ष नेता यशपाल आर्य ने राज्य के नवनियुक्त मुख्य सचिव श्री आनंद वर्धन से दूरभाष पर वार्ता की और सचिवालय में लंबित फाइल को नियमों के तहत शीघ्र निस्तारित करने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल में सचिन भुवन चंद भट्ट, उमेश चंद्र भट्ट एवं कविराज धामी भी उपस्थित रहे। प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार से माँग की है कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए बिंदुखत्ता को शीघ्र राजस्व गाँव का दर्जा दिया जाए, ताकि क्षेत्रवासियों को भूमि का मालिकाना हक मिल सके ।