
बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल
विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट के प्रयासों से केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को दिए निर्देश
लालकुआं।
बिंदुखत्ता क्षेत्रवासियों के लिए एक ऐतिहासिक और राहत भरी खबर सामने आई है। वर्षों से राजस्व ग्राम के दर्जे की मांग कर रहे क्षेत्र के लोगों के संघर्ष को अब मजबूती मिलती दिख रही है। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि बिंदुखत्ता को वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत राजस्व ग्राम घोषित करने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जाए।

यह निर्देश क्षेत्रीय विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट की राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (NESTS) के कमिश्नर अजीत कुमार श्रीवास्तव से दूरभाष पर हुई वार्ता आधार पर जारी किया गया है। मंत्रालय के अपर सचिव अरविंद मुद्गल ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 3(1)(h) के अंतर्गत वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने का अधिकार जिला स्तरीय समिति (DLC) को प्राप्त है, और यह समिति अंतिम निर्णय देने के लिए सक्षम है।
पत्र में यह भी दोहराया गया है कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा 2 इस प्रक्रिया में लागू नहीं होती, अतः इस कार्य में वन विभाग की कोई बाध्यता नहीं है। इससे बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाने की प्रक्रिया को कानूनी रूप से और बल मिला है।

डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाना उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर रहा है। उन्होंने बताया कि विधायक बनने से पूर्व क्षेत्र में विद्युत विभाग के कार्यों पर रोक लगी हुई थी। विधायक बनने के बाद उन्होंने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए रोक हटवाने की कार्यवाही की, जिसके बाद बिंदुखत्ता में विद्युत विभाग के रूके कार्यों के लिए ₹14 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत कराई।
वन अधिकार समिति, बिंदुखत्ता और स्थानीय जनता ने इस दिशा में आए सकारात्मक संकेतों का स्वागत करते हुए कहा कि अब अधिसूचना की प्रतीक्षा है, जो क्षेत्र के विकास के लिए दरवाजे खोलने वाला कदम साबित होगी।
इस पत्र की प्रतिलिपि जिलाधिकारी नैनीताल एवं उप महानिदेशक, जनजातीय कार्य मंत्रालय उत्तराखंड को भी भेजी गई है, जिससे संबंधित विभागों को कार्रवाई हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त हो सके।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय ने उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग को यह निर्देश भी दिया है कि यदि बिंदुखत्ता के अतिरिक्त राज्य में अन्य ऐसे क्षेत्र हैं जो परंपरागत वन निवासी की श्रेणी में आते हैं या जो वन अधिकार अधिनियम के मापदंडों में आते हों, तो उन्हें भी राजस्व ग्राम घोषित करने की प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की कार्यवाही की जाए।

इससे पूर्व भी स्थानीय लोगों द्वारा बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित किए जाने के संबंध में अपर सचिव अरविंद मुदगल से पत्राचार किया गया था। उन्होंने भी लगातार शासन को उक्त क्षेत्र को राजस्व ग्राम घोषित करने हेतु पत्र प्रेषित किए थे, परंतु आज तक उन पत्रों के आधार पर कोई ठोस कार्यवाही होती नहीं दिखाई दी है।”
