बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने की उम्मीद जगी, वन प्रमुख समीर सिन्हा ने दिया त्वरित कार्रवाई का आश्वासन

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बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने की उम्मीद जगी, वन प्रमुख समीर सिन्हा ने दिया त्वरित कार्रवाई का आश्वासन
लालकुआं/देहरादून।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के बिंदुखत्ता क्षेत्र को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सामने आई है। लंबे समय से प्रमुख वन संरक्षक (हाॅफ) कार्यालय में लंबित पड़ी पत्रावली को लेकर राज्य के वन प्रमुख समीर सिंह ने त्वरित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।

देहरादून स्थित कार्यालय में प्रमुख वन संरक्षक समीर सिन्हा बिंदुखत्ता के पूर्व सैनिक संगठन व वनाधिकार समिति का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधियों ने उन्हें विस्तार से बताया कि वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत तैयार की गई पत्रावली को जिला स्तरीय समिति (DLC) द्वारा अनुमोदित कर एक वर्ष पूर्व शासन को भेजा गया था, लेकिन यह फाइल अब तक वन विभाग में ही लंबित रही और कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि वनाधिकार कानून की धारा के अनुसार, DLC की बैठक में लिया गया निर्णय अंतिम माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद शासन स्तर पर अधिसूचना जारी नहीं हो पाई है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वन प्रमुख समीर सिन्हा ने कहा कि “यह फाइल इतनी देर से क्यों लंबित है, यह समझ से परे है। अब इस पर और विलंब नहीं होगा। इसे तत्काल शासन को अग्रसारित किया जाए।”

उन्होंने यह भी कहा कि बिंदुखत्ता का मामला नया नहीं, बल्कि ऐतिहासिक है। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में भी प्रयास हुए थे, परंतु वह प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी थी। अब शासन को इस विषय में संवेदनशील होकर निर्णय लेना होगा।

लगभग 80,000 से अधिक की आबादी वाला बिंदुखत्ता क्षेत्र वर्षों से राजस्व ग्राम दर्जे से वंचित है। क्षेत्र में सड़क, विद्युत, बैंक, पोस्ट ऑफिस, आईटीआई, स्कूल जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं, फिर भी यहां के नागरिक भूमि स्वामित्व, सरकारी योजनाओं, आवास, केंद्र सरकार व राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित हैं।

वनाधिकार अधिनियम (FRA) 2006 के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में बिंदुखत्ता का 3470 हेक्टेयर व 11703 परिवारों का सामूहिक दावा स्वीकृत किए गए थे। ग्राम सभाओं द्वारा पारित प्रस्तावों को SDLC और DLC से अनुमोदन मिलने के बाद वर्ष 2024 में फाइल शासन को भेजी गई थी, जो अब तक प्रमुख वन संरक्षक कार्यालय में लंबित है।

पूर्व सैनिक संगठन व वनाधिकार समिति के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल में कैप्टन खिलाफ सिंह दानू (अध्यक्ष), कैप्टन प्रताप सिंह बिष्ट, कैप्टन इंद्र सिंह पनेरु, बसंत बल्लभ पांडे, उमेश चंद्र भट्ट शामिल थे। इन सभी ने वन प्रमुख से तत्काल हस्तक्षेप कर पत्रावली को शासन तक भेजने की मांग की।

इस पर समीर सिन्हा ने बैठक में ही अपने अधीनस्थ अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि “अब यह फाइल और नहीं रुकेगी। जो भी नियमानुसार उचित होगा, वह तुरंत किया जाएगा।”

वन प्रमुख के इस स्पष्ट रुख और सक्रिय हस्तक्षेप के बाद बिंदुखत्ता के नागरिकों में उत्साह और विश्वास का वातावरण बना है। क्षेत्रीय नागरिक अब उम्मीद कर रहे हैं कि शासन जल्द निर्णय लेकर राजस्व ग्राम की अधिसूचना जारी करेगा, जिससे हजारों परिवारों को उनके संवैधानिक अधिकार और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।

चित्र परिचय:
प्रमुख वन संरक्षक समीर सिन्हा से उनके कार्यालय में पत्रावली सौंपते पूर्व सैनिक संगठन व वनाधिकार समिति का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल।


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