नई दिल्ली/हल्द्वानी। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत वर्ष 2023-24 में बजट आवंटन में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही, योजना के अंतर्गत गंभीर बीमारियों की सूची का दायरा बढ़ाया गया है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं संबद्ध डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय (एसटीएच) हल्द्वानी को योजना की शुरुआत से अब तक 43.87 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। यह जानकारी आरटीआई के तहत अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई है।
बजट आवंटन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में आयुष्मान सेक्शन के लिए ₹2,40,01,926 का आवंटन किया गया, जबकि 2022-23 में यह राशि ₹1,91,84,165 थी।
इससे स्पष्ट है कि सरकार स्वास्थ्य बीमा योजना को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है।
यह बजट डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, तकनीशियनों, फार्मासिस्टों सहित सभी संबंधित कार्मिकों के मानदेय और तकनीकी व्यय पर व्यय किया जाता है।
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को मिला 43.87 करोड़ का राजस्व
आरटीआई के अनुसार, राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं संबद्ध एसटीएच हल्द्वानी को योजना लागू होने से लेकर 31 मार्च 2025 तक कुल ₹43,87,93,961.27 का राजस्व प्राप्त हुआ है।
इनमें वर्षवार प्रोत्साहन वितरण इस प्रकार रहा—
वित्तीय वर्ष
वितरित राशि (₹)
2018-19
12,93,218
2019-20
85,24,865
2020-21
59,51,699
2021-22
67,86,769
2022-23
1,91,84,165
2023-24
2,40,01,926
कुल योग
6,57,42,642
अस्पताल प्रशासन के अनुसार यह राशि विभिन्न श्रेणियों में कार्यरत कर्मचारियों को शासनादेश के अनुरूप प्रोत्साहन स्वरूप दी जाती है।
प्रोत्साहन वितरण के शासनादेश के अनुसार नियम
शासनादेश संख्या 2.8 के अनुसार, आयुष्मान योजना से प्राप्त क्लेम धनराशि का विभाजन इस प्रकार किया जाता है —
50% राशि — आयुष्मान उत्तराखंड हेल्थ अथॉरिटी को जमा की जाती है।
35% — चिकित्सालय के आंतरिक व्यय जैसे दवाएं, उपकरण आदि पर खर्च की जाती है।
15% — कर्मचारियों के प्रोत्साहन व प्रशासनिक कार्यों के लिए निर्धारित होती है।
इस 15% राशि का वितरण इस प्रकार होता है —
चिकित्सा अधीक्षक (1%), चिकित्सक (5%), तकनीशियन (1%), लैब तकनीशियन (1%), फार्मेसी (1%), नर्सिंग (3%), वार्डबॉय (1%), स्वीपर (1%) और आयुष्मान सेक्शन (1%)।
अस्पताल ने बताया कि यह पूरी राशि पंजाब नेशनल बैंक में संचालित “अटल आयुष्मान योजना” के पृथक खाते में जमा की जाती है।
गंभीर बीमारियों और आपात स्थितियों का विस्तृत कवरेज
आयुष्मान योजना के तहत अब कई गंभीर बीमारियों को कवर किया जा रहा है। इनमें शामिल हैं—
हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, ब्रेन स्ट्रोक, डायबिटिक कोमा, किडनी फेल्योर, सेप्टिक शॉक, गंभीर अस्थमा, पल्मोनरी एम्बोलिज्म, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, एल्केम्पसिया, एनाफिलेक्सिस और गंभीर एलर्जिक रिएक्शन आदि।
इसके साथ ही आत्मघाती प्रवृत्ति व मानसिक आपात स्थितियों को भी योजना के तहत शामिल किया गया है।
योजना के लाभ और पात्रता
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पात्र परिवारों को प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का निःशुल्क बीमा कवर मिलता है।
इसका लाभ गरीब, वंचित और कमजोर वर्गों को दिया जाता है। पात्रता सूची SECC डेटा के आधार पर तैयार होती है और लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किया जाता है।
योजना के तहत मरीजों को भर्ती होने पर इलाज, सर्जरी, जांच और दवाएं निःशुल्क मिलती हैं।
हालांकि, योजना में ओपीडी जांचों का खर्च शामिल नहीं है, केवल इनडोर मरीजों (IPD) को ही लाभ दिया जाता है।
तकनीकी और क्रियान्वयन सुधार
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए आईटी सिस्टम, MIS समन्वय, डेटा सुरक्षा और सॉफ्टवेयर प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इससे पारदर्शिता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में योजना के तहत अब तक 43.88 करोड़ रुपये से अधिक की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा चुकी हैं।
चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि योजना को और प्रभावी बनाने के लिए अस्पताल नेटवर्क का विस्तार, लाभार्थियों की सूची का अद्यतन, जागरूकता अभियान और डिजिटल सेवाओं की मजबूती जरूरी है।
ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में योजना की पहुँच अभी भी सीमित है।
आयुष्मान भारत योजना ने गरीब और जरूरतमंद परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराकर देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है।
सरकार द्वारा बजट में बढ़ोतरी और गंभीर बीमारियों को कवर में शामिल करने से योजना की विश्वसनीयता और सामाजिक प्रभाव दोनों में वृद्धि हुई है।
हालाँकि, लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुँचाने की दिशा में अभी भी निरंतर प्रयासों की आवश्यकता बनी हुई है।