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8 नवंबर की शाम 5 बजे नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के थारू समुदाय के स्टूडेंट्स ने दिल्ली के जवाहर भवन में ‘कल्पनाओं का डलवा (टोकरी)’ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी मेक्सिको और भारत के दो जनजातीय समुदायों – कोका और थारू – के युवा कलाकारों के बीच हो रहे कला आदान-प्रदान को दर्शाती है। यह दिखाती है कि कैसे युवा पीढ़ी ख़ुद को और दुनिया को बेहतर समझने के लिए भौगोलिक सीमाओं और भाषाई बाधाओं को पार करने को तैयार है। इसके लिए, उन्होंने कला को आपस में संवाद करने और साझा सवालों व चिंताओं को उठाने के एक कारगर तरीके के रूप में खोजा है।

प्रदर्शनी के उद्घाटन में टीच फॉर इंडिया, क्लेलैब, उमंग स्कूल, जैसे संगठन समेत कई प्रोफ़ेसर, पत्रकार, फ्रीलांसर, सिनेमा एक्टिविस्ट, लेखक, और शिक्षार्थी शामिल हुए। नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के शिक्षार्थियों ने सभी दर्शकों को प्रदर्शनी में लगी तस्वीरों और अपने वर्चुअल एक्सचेंज प्रोग्राम के बारे में विस्तार से बताया। यह भी साझा किया कि यह प्रदर्शनी एक साल के संवाद का नतीजा है।

2023 के बाद से, इस परियोजना को डॉक्टर फातिमा, विनीत अग्रवाल और मा. असुनसियन मोरेनो सिस्नेरोस के मार्गदर्शन की बदौलत भारत के उत्तराखण्ड में नानकमत्ता पब्लिक स्कूल और मेक्सिको के मेज़काला में तायेर (कार्यशाला) ‘ला कायोतेरा’ में शुरू किया गया। गूगल मीट के ज़रिये छात्रों के दोनों समूहों के बीच लगातार बातचीत होती रही, जिसमें फ़ातिमा निज़ारुद्दीन और इनेस डुरान माटुटे हिंदी, अंग्रेज़ी और स्पैनिश में ज़रूरी अनुवाद करते और आदान-प्रदान में हर तरह से मदद करते थे। वहीं, विनीत अग्रवाल ने इस प्रदर्शनी को संयोजित करने में साथ दिया।

यह प्रदर्शनी 8 दिसंबर तक जवाहर भवन में लगी रहेगी।
उधर मेक्सिको में भी इसी प्रदर्शनी को एक दिन पहले लगाया जा चुका है। भविष्य में भारत और मेक्सिको के अलग-अलग शहरों में दक्षिणी महाद्वीपों की इन जनजातियों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान से संबंधित यह प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

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