बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाए जाने की मांग पर सर्वदलीय अधिवेशन, जनगीतों ने बांधा समा

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वनाधिकार से राजस्व ग्राम बनाए जाने की मांग को लेकर बिंदुखत्ता में सर्वदलीय अधिवेशन।

भाजपा, कांग्रेस, भाकपा माले समेत पूर्व सैनिक संगठन व विभिन्न क्षेत्रीय प्रतिनिधि हुए शामिल।

बिंदुखत्ता। वनाधिकार के तहत बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित किए जाने की मांग को लेकर एक दिवसीय सर्वदलीय ग्राम स्तरीय अधिवेशन का आयोजन पुराना खत्ता के पास एक बैंक्वेट हॉल में किया गया। यह अधिवेशन बिंदुखत्ता वन अधिकार समिति के बैनर तले आयोजित किया गया, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, भाकपा माले, भूतपूर्व सैनिक संगठन सहित विभिन्न संगठनों और क्षेत्रों से आए वन अधिकार समितियों के प्रतिनिधिमंडलों तथा वन पंचायत संघर्ष मोर्चा सहित सैकड़ों क्षेत्रवासियों ने भाग लिया।

अधिवेशन में बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाए जाने की दिशा में अब तक हुई कार्यवाहियों और भविष्य की रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के संयोजक एडवोकेट तरुण जोशी ने कहा कि जब किसी क्षेत्र के दावे जिला स्तर पर स्वीकृत हो जाते हैं, तो वह वस्तुतः राजस्व ग्राम घोषित किया जा चुका होता है, केवल अधिसूचना जारी करना शेष रह जाता है। उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों में राज्य सरकारों ने वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए नियमावली बनाई है, जिससे स्वीकृत दावों को विधिसम्मत दिशा मिलती है, परंतु उत्तराखंड में अभी तक कोई नियमावली नहीं बनी है। इस कारण बिंदुखत्ता की पत्रावली सचिवालय में जानकारी के अभाव में इधर-उधर भेजी जा रही है, जो FRA 2006 के प्रावधानों के प्रतिकूल है।

उन्होंने कहा कि कार्यपालिका व व्यवस्थापिका अपना कार्य लगभग कर चुकी हैं, अब यदि आवश्यकता पड़ी तो न्यायपालिका का सहारा लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिंदुखत्ता न्यायालय में अपनी बात रखने में पूर्णतः सक्षम है, फिर भी समिति चाहती है कि सरकार नियमावली बनाए, तो इसके लिए वार्ता के लिए भी तैयार है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ चिंतक श्याम सिंह रावत ने बिंदुखत्ता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए भूमि संगठन से लेकर पं. नारायण दत्त तिवारी तक के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज जो प्रक्रिया चल रही है, वह पहले से चल रहे आंदोलनों की ही परिणति है, जिसे वर्तमान समिति ने नई दिशा दी है। उन्होंने क्षेत्रवासियों से समिति की बैठकों में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।

श्याम सिंह रावत ने यह भी स्पष्ट किया कि वन विभाग के पास बिंदुखत्ता को आरक्षित वन घोषित करने का कोई वैध अभिलेख नहीं है। यदि कोई कागजात होते तो वे अब तक प्रस्तुत किए गए होते। उन्होंने कहा कि जनता को निराश होने की आवश्यकता नहीं है, और डॉ. मोहन सिंह बिष्ट के प्रयासों की भी सराहना की, जिन्होंने इस मुद्दे को आरंभिक दौर में ही उठाया।

कार्यक्रम को भाजपा नेता भरत नेगी, राम सिंह पपोला, भाकपा माले से भुवन चंद्र जोशी, किशन बघरी, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष पुष्कर सिंह दानू, कुंदन सिंह मेहता सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने भी संबोधित किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि वे सबसे पहले बिंदुखत्ता के निवासी हैं, फिर किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं। सभी ने समिति के साथ खड़े रहने और आवश्यकतानुसार एक पृथक “बिंदुखत्ता राजस्व गांव संघर्ष मोर्चा” के गठन का भी समर्थन किया।

भूतपूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष खिलाफ सिंह दानू ने कहा कि वे तथा समस्त पूर्व सैनिक तन, मन और धन से इस संघर्ष में साथ हैं। उन्होंने कहा कि यदि गांव नहीं रहेगा तो आने वाली पीढ़ी के लिए भविष्य अधूरा होगा, इसलिए यह संघर्ष अत्यंत आवश्यक है।

कार्यक्रम में कविराज धामी एवं गोपाल लोधियाल द्वारा प्रस्तुत जनगीतों ने समा बांध दिया। उनके गीतों ने न केवल प्रतिभागियों को ऊर्जा दी, बल्कि वनाधिकार की लड़ाई को जनभावना से जोड़ने का कार्य भी किया।

कार्यक्रम में मानपुर प्रतापपुर से नंदन सिंह, बागजाला से कुंदन सिंह, बोढखत्ता से भोपाल सिंह रावत, खुमारीखत्ता से हीरा सिंह, हरिपुर ठठोला त्रिलोकपुर दानीबांगर से हयात सिंह बिष्ट, मुक्तेश्वर से गोपाल सिंह लोधियाल, वन अधिकार समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी, सचिव भुवन भट्ट, चंद्रकला गढ़िया, कमला देवी , मीना कपिल चंदन सिंह बिष्ट, सुरेश पांडे, ललित बसनायत, हीरा सिंह कोरंगा, चंचल सिंह कोरंगा, कैप्टन प्रताप सिंह बिष्ट, नंदन सिंह तुलेरा, पुष्कर सिंह बसेड़ा, हीरा सिंह बिष्ट, बंशीधर पाठक, गोविंद बल्लभ भट्ट सहित सैकड़ों क्षेत्रवासी उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वन अधिकार समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी ने की तथा संचालन समिति सदस्य उमेश चंद्र भट्ट ने किया।

चित्र परिचय:
मंच पर संबोधित करते वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के संयोजक एडवोकेट तरुण जोशी व अन्य वक्ता।

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