
ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़े, अब युवाओं में भी दिख रहा खतरा
—रिपोर्टर: मुकेश कुमार, हल्द्वानी
हल्द्वानी: शहर समेत पूरे कुमाऊं मंडल में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में बीते कुछ वर्षों में तेजी से इजाफा हुआ है। चिंताजनक बात यह है कि अब युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक की घटनाएं सामने आने लगी हैं। डॉक्टरों के अनुसार इसे यंग-ऑनसेट स्ट्रोक कहा जाता है, जिसमें 45 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति प्रभावित होते हैं। सभी स्ट्रोक मामलों में से लगभग 10 से 15 प्रतिशत अब इस श्रेणी में आ रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि इसका प्रमुख कारण बिगड़ती जीवनशैली है। हाई बीपी, डायबिटीज, धूम्रपान, तनावपूर्ण कार्यशैली और शारीरिक निष्क्रियता जैसे कारक ब्रेन स्ट्रोक के पीछे प्रमुख वजहें बन रही हैं।
हल्द्वानी के बजाज सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के एमडी और जाने-माने न्यूरोसर्जन डॉ. अजय बजाज ने बताया कि अब युवाओं में भी क्लॉटिंग और एंटी-क्लॉटिंग मैकेनिज्म की गड़बड़ी से हाइपरकोएग्युलेबल स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिसमें खून का थक्का दिमाग की नसों में जमने लगता है और स्ट्रोक का खतरा पैदा हो जाता है।
डॉ. बजाज ने बताया कि वे अत्याधुनिक न्यूरोसर्जिकल तकनीकों के साथ व्यापक स्पेक्ट्रम सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से स्ट्रोक के मरीजों का इलाज करते हैं। उनकी टीम नैदानिक आंकड़ों की गहन समीक्षा कर अनुकूलित उपचार योजनाएं तैयार करती है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय पर इलाज न किया जाए तो स्ट्रोक जानलेवा साबित हो सकता है। लक्षणों जैसे – आंखों से धुंधला दिखना, चक्कर आना, सिरदर्द आदि को कभी भी नजरअंदाज न करें और तुरंत अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं।
गर्मी के मौसम में खतरा और बढ़ जाता है। डॉ. बजाज के अनुसार, उच्च तापमान में स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है, विशेषकर उन लोगों में जिन्हें पहले से हाई बीपी, डायबिटीज, मोटापा, धूम्रपान, शराब की लत या हृदय संबंधी समस्याएं हैं।
उन्होंने सलाह दी कि –
- नियमित दवाएं लें,
- भोजन हल्का रखें,
- प्रतिदिन 3 से 3.5 लीटर तरल पदार्थ लें,
- 30 मिनट सुबह की सैर करें,
- और सूर्य नमस्कार को दिनचर्या में शामिल करें।
डॉ. बजाज ने दो टूक कहा – “जरा सी लापरवाही मरीज की जान ले सकती है। स्ट्रोक से बचाव के लिए समय पर पहचान और उपचार जरूरी है।”