नैनीताल जिले में राज्य गठन के बाद दर्ज हुए पहले मुकदमों का खुलासा: RTI से सामने आई अहम जानकारियाँ

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नैनीताल जिले में राज्य गठन के बाद दर्ज हुए पहले मुकदमों का खुलासा: RTI से सामने आई अहम जानकारियाँ

उत्तराखंड राज्य गठन के करीब ढाई दशक बाद, सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत हल्द्वानी के निवासी हेमंत सिंह गोनिया द्वारा दायर आवेदनों ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि पारदर्शिता ही जवाबदेही की कुंजी है। नैनीताल जिले के विभिन्न पुलिस थानों द्वारा उपलब्ध कराए गए जवाबों से राज्य निर्माण के बाद दर्ज हुए पहले आपराधिक मुकदमों की तस्वीर साफ हुई है। यह केवल कानून व्यवस्था की शुरुआत का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों में दर्ज होती एक अहम रिपोर्ट है।

आरटीआई के अंतर्गत प्राप्त जानकारी से यह स्पष्ट हुआ है कि जिले के अधिकांश थानों ने राज्य गठन के बाद पहले दर्ज मुकदमों का ब्योरा साझा किया है—मुकदमे की प्रकृति, आरोपी का नाम, विवेचक अधिकारी और अभिलेखों की उपलब्धता सहित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ इन रिपोर्ट्स में सामने आई हैं।

  • बेतालघाट थाना (स्थापना: 2006)
    पहला मुकदमा आवश्यक वस्तु अधिनियम 3/7 के अंतर्गत दर्ज किया गया। तत्कालीन तहसीलदार हरि गिरी गोस्वामी द्वारा थान सिंह के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन एफआईआर रजिस्टर की स्थिति खराब होने से प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं है।
  • काठगोदाम थाना
    वर्ष 2004 के रिकॉर्ड के अनुसार पहला मुकदमा NDPS एक्ट (चरस से संबंधित) में राजकुमार नामक व्यक्ति के विरुद्ध दर्ज हुआ था। उपनिरीक्षक नन्हे लाल ने इसकी विवेचना की थी।
  • भीमताल थाना
    राज्य गठन के बाद पहला मामला नकबजनी (457/380 भादवि) का था, जिसमें आरोपी अज्ञात था।
  • मुखानी थाना (स्थापना: 2015)
    पहले मुकदमे आबकारी अधिनियम, 4/25 आर्म्स एक्ट और 420/आईटी एक्ट के अंतर्गत थे। 2015-2025 तक शराब, हथियार व ऑनलाइन ठगी से जुड़े प्रमुख मुकदमे दर्ज किए गए।
  • रामनगर कोतवाली
    302 भादवि (हत्या) का मुकदमा अजीत पाल पुत्र कुथालुलाल द्वारा दर्ज कराया गया था। हालांकि, 2012 तक के सारे रिकॉर्ड 2020 में नष्ट कर दिए गए हैं।
  • हल्द्वानी कोतवाली
    पहला मुकदमा 406 भादवि (अमानत में खयानत) के तहत सुरेंद्र पाल सिंह ने दर्ज कराया था। उपनिरीक्षक राकेश सिंह ने विवेचना की।
  • लालकुआं कोतवाली
    पहला मुकदमा चोरी का था, जिसकी जांच उपनिरीक्षक नन्हे लाल ने की थी। आरोपी की जानकारी आरटीआई अधिनियम की धारा 11 के तहत साझा नहीं की गई।
  • चोरगलिया थाना (स्थापना: 2004)
    60 आबकारी अधिनियम के तहत पहला मुकदमा रमेश चंद्र के खिलाफ दर्ज हुआ। विवेचक: एसओ अनिल शाह
  • खनस्यूं थाना (स्थापना: 31 जनवरी 2023)
    पहला मामला 60 आबकारी अधिनियम के तहत 21 फरवरी 2023 को दर्ज हुआ। विवेचना एक उपनिरीक्षक द्वारा की गई।

कई थानों ने बताया कि पुराने रिकॉर्ड अब थाने में उपलब्ध नहीं हैं। कुछ रजिस्टर “बीट आउट” यानी समाप्त घोषित कर दिए गए, तो कुछ मुकदमों से संबंधित दस्तावेज न्यायालय को भेजे जा चुके हैं। व्यक्तिगत गोपनीयता की रक्षा के लिए भी कई सूचनाएं साझा नहीं की गईं, हालांकि आवेदक को थाने में प्रत्यक्ष निरीक्षण का विकल्प दिया गया।


राज्य गठन के बाद अपराध की प्रकृति, कानूनी व्यवस्था की शुरुआत और थानों की कार्यशैली पर यह रिपोर्ट एक ऐतिहासिक झरोखा प्रस्तुत करती है। साथ ही यह स्पष्ट करती है कि पुलिस रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और संरक्षित संग्रहण की आवश्यकता आज भी उतनी ही गंभीर है।


“यह रिपोर्ट सिर्फ आंकड़ों का दस्तावेज नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक प्रक्रिया की झलक है, जिसमें उत्तराखंड की कानून व्यवस्था ने अपने पहले कदम रखे।”

नैनीताल जिले के संदर्भ में यह आरटीआई एक अनुसंधानात्मक दस्तावेज बन सकता है, जो भविष्य के अध्ययन और प्रशासनिक निर्णयों के लिए आधार तैयार करेगा।



नैनीताल ज़िला संवाददाता

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