बिंदुखत्ता मामले की दिल्ली में सुनवाई, आयोग ने दी कानूनी स्पष्टीकरण

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नई दिल्ली।
नई दिल्ली में सोमवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में बिंदुखत्ता से संबंधित मामले की सुनवाई हुई। यह मामला प्रभु गोस्वामी द्वारा दायर उस प्रार्थना पत्र से संबंधित था, जिसमें बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित करने की मांग की गई थी।

सुनवाई के दौरान राजस्व सचिव, समाज कल्याण सचिव और नैनीताल जिलाधिकारी आयोग के समक्ष उपस्थित रहे। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह विषय तब ही उसके अधिकार क्षेत्र में आता है जब शिकायतकर्ता अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) से संबंधित हो। चूंकि प्रभु गोस्वामी अनुसूचित जनजाति वर्ग से नहीं हैं, इसलिए उनका आवेदन आयोग में विचाराधीन नहीं रह सकता

।फिर भी, आयोग ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम से जुड़ी तैयारी करें, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों पर बार-बार नए आवेदन दायर न करने पड़ें। साथ ही, यह भी कहा गया कि यदि क्षेत्र में कोई व्यक्ति अनुसूचित जनजाति वर्ग का है, तो वह अपने अधिकारों के लिए नया प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है।

इसी दिशा में वन अधिकार समिति, बिंदुखत्ता के सदस्यों ने मौके पर ही अनुसूचित जनजाति वर्ग के राजेंद्र सिंह टोलिया, प्रफुल्ल रावत, गोविंद सिंह रौकंली और भरत सिंह खेर के हस्ताक्षर सहित एक नया आवेदन आयोग में दाखिल किया।आयोग ने समाज कल्याण विभाग की ओर से प्रस्तुत जनजाति समुदाय की संख्या पर कहा कि “संख्या कम या ज्यादा होने से अधिकारिकता पर फर्क नहीं पड़ता।” आयोग ने साथ ही सलाह दी कि यदि आवश्यक हो तो पिछड़ा वर्ग आयोग में भी आवेदन दिया जा सकता है।

उपस्थित प्रमुख सदस्य:
अर्जुन नाथ गोस्वामी (अध्यक्ष, वन अधिकार समिति बिंदुखत्ता), श्याम सिंह रावत, बसंत पांडे, अधिवक्ता तरुण जोशी, राजेंद्र सिंह टोलिया, चंचल सिंह कोरंगा, और प्रमोद गोस्वामी।

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