राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने बिंदुखत्ता मांग पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया।
मुख्य सचिव और डीएम नैनीताल को 17 नवंबर को नई दिल्ली में पेश होने का निर्देश
नैनीताल। उत्तराखंड राज्य के बिंदुखत्ता गांव को राजस्व ग्राम घोषित न किए जाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग के सदस्य निरुपम चकमा ने प्रदेश के मुख्य सचिव और जिलाधिकारी नैनीताल को 17 नवंबर को मूल अभिलेखों सहित व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत होकर मामले की सुनवाई में शामिल होने के निर्देश जारी किए हैं।

यह निर्देश अनुसंधान अधिकारी चेतन कुमार द्वारा जारी पत्र के माध्यम से भेजे गए, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि यदि अधिकारी निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं होते, तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 338 (8) के तहत प्रदत्त सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र होगा।यह मामला बिंदुखत्ता निवासी प्रभु गोस्वामी की शिकायत पर संज्ञान में आया है।

शिकायतकर्ता ने आयोग को अवगत कराया था कि ग्राम को राजस्व क्षेत्र घोषित करने के लिए सभी आवश्यक अभिलेख एवं साक्ष्य पहले ही प्रस्तुत किए जा चुके हैं, फिर भी शासन स्तर से अब तक अधिसूचना जारी नहीं की गई है।उधर, बिंदुखत्ता की ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति ने भी आयोग को पत्र भेजकर इस प्रकरण में अपनी बात रखने का अवसर मांगा है।

समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि 29 मई 2023 को गठित ग्राम समितियों द्वारा प्रस्तुत दावे को 19 जून 2024 को जिला स्तरीय वनाधिकार समिति ने सर्वसम्मति से पारित कर राज्य सरकार को भेजा था, किंतु उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।समिति ने आशा व्यक्त की है कि आयोग आगामी सुनवाई में सभी पक्षों को समान अवसर प्रदान कर वस्तुनिष्ठ निर्णय देगा, जिससे लंबे समय से लंबित इस मुद्दे का समाधान संभव हो सके।




