आधुनिक युग में तकनीक: बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक प्रश्नितर्थ रूप ।
आधुनिक युग में तकनीक ने मानव जीवन को बदल दिया है।हमारे आस-पास के विश्व में हर क्षेत्र में तकनीकी उन्नति के चरम पर पहुंचे हैं, आज के समय में तकनीक ने बच्चों के जीवन को भी प्रभावित किया है। एक समय था जब खेल-खेल में बच्चे अपना समय बिताते थे, लेकिन अब उनकी दुनिया में गेम कंसोल्स, स्मार्टफ़ोन, और चर्चित इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म हैं।
हालांकि, यह तकनीकी उन्नति बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक प्रश्नितर्थ रूप भी प्रदान करती है। विभिन्न अध्ययनों ने देखा है कि अधिकतर बच्चे अधिक समय वीडियो गेम्स खेलने, सोशल मीडिया पर समय बिताने और स्मार्टफ़ोन का उपयोग करने में व्यस्त रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने शिक्षा, सोशल अनुबंध, और शारीरिक गतिविधियों को अनदेखा करते हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
एक मुद्दा है कि तकनीकी उन्नति ने बच्चों को अकेलापन में डाल दिया है। गेम खेलने या सोशल मीडिया पर समय बिताने का जो आनंद पहले दोस्तों और परिवार के साथ बिताया जाता था, अब उनके नए मित्र वीर्चुअल हैं। इससे बच्चों को वास्तविक दुनिया के साथ निरंतर संपर्क बनाने की आवश्यकता कम हो गई है। यह अकेलापन की भावना को बढ़ा सकता है और उन्हें सामाजिक रिश्तों से दूर कर सकता है। यह बच्चों को अपनी भावनाओं, विचारों और समस्याओं को साझा करने के लिए मानसिक समर्थन से वंचित कर सकता है।
दूसरा मुद्दा है कि तकनीकी उन्नति ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। अधिकांश वीडियो गेम्स, सोशल मीडिया और इंटरनेट कंटेंट स्वरूपित मानों की प्रोत्साहन करते हैं जो बच्चों को बैठे रहने के लिए प्रेरित करते हैं। यह लाइफस्टाइल निष्क्रियता, वजन बढ़ना, और तनाव के स्तर में वृद्धि के कारक बन सकता है।
इसके अलावा, अतिरिक्त स्क्रीन समय रात की नींद को प्रभावित कर सकता है और बच्चों में अनियमित नींद की समस्या का कारण बन सकता है।इसके अलावा, तकनीक के बारे में अपार जानकारी और पहुंच बच्चों को विनम्र और अधिकतम उपयोग की ओर नहीं बढ़ाते हैं। यह उन्हें विज्ञान, खोज, और नए दिमागी कौशल को समझने के लिए बाधा बना सकता है। बच्चों को समय-समय पर नियंत्रित और सुरक्षित इंटरनेट और तकनीकी उपयोग के बारे में शिक्षा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है।इस प्रकार, आधुनिक युग में तकनीक के विकास ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक रिश्तों पर अनियंत्रित प्रभाव डाल दिया है। इसके साथ ही, तकनीकी उन्नति ने बच्चों की शिक्षा पर भी प्रभाव डाला है।
अब बच्चों को विद्यालयों में नहीं बल्क ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ती है जिससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसके साथ ही, इंटरनेट पर उपलब्ध भ्रामक और असत्यापित सूचनाओं के कारण बच्चों को गलत ज्ञान हो सकता है जो उनके सोचने और संज्ञान को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, तकनीकी उन्नति ने बच्चों की सुरक्षा और निजता को खतरे में डाल दिया है। इंटरनेट पर बच्चों की आंतरिक और बाहरी जानकारी को चुराने, अनुचित संदेश और अश्लील सामग्री को पहुंचाने का खतरा होता है।
इसके साथ ही, सोशल मीडिया पर बच्चों को ऑनलाइन बुलिंग, साइबर बाइन्स और अन्य ऑनलाइन खतरों की भी आशंका होती है।इसलिए, बच्चों को तकनीक के साथ सावधान रहना चाहिए और उन्हें सही और सुरक्षित उपयोग के लिए शिक्षित करना आवश्यक है। साथ ही, माता-पिता, शिक्षकों और समाज को भी बच्चों की तकनीकी उपयोग की निगरानी करनी चाहिए और उनकी सुरक्षा और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य की देखभाल करनी चाहिए।
डॉ भारत पाण्डे
सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर
महाविधालय,रूद्रपुर