इन दिनों अगर आप सूर्यास्त के बाद रात में खुले आसमान में देखें तो आपको 2 खगोलीय पिंड अन्य सभी तारों की तुलना में अधिक चमकदार दिखाई देंगे। पश्चिम दिशा में होगा चमकीला शुक्र और पूर्व दिशा से बृहस्पति का उदय हो रहा होगा। 6 दिसंबर को बृहस्पति पृथ्वी के सबसे नजदीक (लगभग 61.1 करोड़ किमी दूर) होगा। साथ 7 दिसंबर को यह पृथ्वी के खगोलीय विरोध में होगा अर्थात बृहस्पति, पृथ्वी और सूर्य लगभग एक सीधी रेखा में होंगे। इस रात बृहस्पति सूर्यास्त के साथ उगेगा और सूर्योदय के के साथ अस्त होगा यानी की पूरी रात तक आसमान में होगा। परिणामस्वरूप नैनीताल से 13 घंटों से भी ज्यादा समय तक इसे देखा जा सकता है। चूँकि बृहस्पति 10 घंटों से भी कम समय में अपना एक चक्कर पूरा करता है, इन दिनों एक रात में इसकी पूरी सतह देखी जा सकती है।
नैनीताल स्थित आर्यभट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) खगोल विज्ञान में एक अग्रणी शोध संस्थान है। यहाँ के साफ और अंधेरे आसमान का लाभ लेते हुए एस्ट्रोफोटोग्राफर्स का एक दल दिल्ली और आसपास के इलाकों से एरीज आया हुआ है। दल की अगुवाई विख्यात एस्ट्रोफोटोग्राफर अजय तलवार कर रहे हैं। एरीज के जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ वीरेंद्र यादव ने बताया कि एरीज और एस्ट्रोफोटोग्राफर्स का यह दल मिलकर 6 और 7 दिसंबर को बृहस्पति की पूरी सतह की फोटोग्राफी करेंगे। यह प्रयास खगोल विज्ञान में लोगों की रुचि और खगोल पर्यटन में देवभूमि उत्तराखंड के महत्व को बढ़ाने में सहायक होगा।