“हर दिन घायल होते हैं गौवंश, इंसान भी बनते हैं शिकार — बिंदुखत्ता में शुरू हुआ ‘चोटिल गौशाला’ का निर्माण, जनसहयोग से जागा उम्मीद का उजाला”

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“हर दिन घायल होते हैं गौवंश, इंसान भी बनते हैं शिकार — बिंदुखत्ता में शुरू हुआ ‘चोटिल गौशाला’ का निर्माण, जनसहयोग से जागा उम्मीद का उजाला”

बिंदुखत्ता, लालकुआं।
गौरी सेवा समिति द्वारा बिंदुखत्ता क्षेत्र में ‘चोटिल गौशाला’ के निर्माण की शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य सड़कों पर बेसहारा और घायल गौवंश को आश्रय देना है, जिससे मानव-पशु संघर्ष से उत्पन्न दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

समिति के सक्रिय सदस्य मोहित जोशी (पुत्र नरेंद्र जोशी) और दीपक पांडे (पुत्र केशव दत्त पांडे) ने जनसहयोग से इस नेक कार्य की नींव रखी है। उनका कहना है कि लोग गायों का उपयोग करने के बाद या संसाधनों के अभाव में उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। ये आवारा पशु रात के अंधेरे में वाहनों से टकराकर घायल हो रहे हैं — और आम नागरिक भी इससे दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 5 से 10 पशु सड़क हादसों का शिकार हो रहे हैं।

इन्हीं हालातों को देखते हुए समिति ने एक ऐसे गौआश्रम के निर्माण का संकल्प लिया है, जिसमें सिर्फ घायल और बीमार जानवरों का इलाज हो सकेगा। इसमें गायों के साथ-साथ कुत्ते, बिल्ली और अन्य छोटे पशुओं को भी उपचार मिलेगा। समिति का मानना है कि जहां स्वस्थ जानवरों की सेवा कई लोग करते हैं, वहीं घायल पशुओं की ओर कोई ध्यान नहीं देता।

सबसे बड़ी बाधा यह है कि बिंदुखत्ता अभी राजस्व ग्राम घोषित नहीं है, जिससे सरकार की ओर से किसी प्रकार का सहयोग भी नहीं मिल पा रहा। ऐसे में यह पूरा निर्माण सिर्फ स्थानीय लोगों के सहयोग से संभव हो रहा है।

समिति की अपील है कि यदि जनसहयोग यूं ही बना रहा, तो ‘चोटिल गौशाला’ जल्द ही वास्तविक रूप ले लेगी और यह प्रयास क्षेत्र में मानव-पशु जीवन की रक्षा में मील का पत्थर साबित होगा।

“आपका एक छोटा सहयोग, किसी जीवन की बड़ी रक्षा बन सकता है। आइए, इस पुण्य कार्य का हिस्सा बनें।”


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