ऑर्ट्स और कॉमर्स में भी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बैचलर ऑफ साइंस (बीएस) की डिग्री मिलेगी। चार वर्षीय स्नातक डिग्री प्रोग्राम के किसी भी कोर्स में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री दी जा सकेगी। साइंस, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, आर्ट्स, ह्यूमेनिटीज, सोशल साइंस, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, मैनेजमेंट और कॉमर्स आदि में डिग्री को बीएस का नाम दिया जा सकता है।
नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी की ओर से गठित की गई कमेटी ने आर्ट्स सहित कई अन्य विषयों में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री देने की सिफारिश की है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा कि डिग्री नामकरण की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है।
इसी उच्चस्तरीय समिति की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत पारंपरिक डिग्री के नाम पर नए डिग्री के नाम की सिफारिश का ड्रॉफ्ट बृहस्पतिवार को सभी राज्यों और विश्वविद्यालयों को भेज दिया है। हितधारक पांच जुलाई तक इस ड्रॉफ्ट पर अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज करवा सकते हैं। एनईपी 2020 की सिफारिश और नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क एंड करिकुलम के आधार पर इसे तैयार किया है। इसमें छात्रों को स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम में मल्टीपल एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलेगी। यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम जगदीश ने बताया कि छात्रों को पढ़ाई से प्राप्त क्रेडिट के आधार पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर डिप्लोमा व स्नातकोत्तर डिग्री मिलेगी।
इन कोर्स में नए नाम से डिग्री की सिफारिश यूजीसी अब नए- नए नामों से डिग्री देगा। इसके तहत छात्र साइंस, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, आर्ट्स, ह्यूमेनिटीज, सोशल साइंस, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, मैनेजमेंट और कॉमर्स आदि कोर्स में बीएस डिग्री पा सकेंगे। अभी तक यूजीसी की ओर से विवि को कला, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में कला स्नातक की डिग्री प्रदान करने की अनुमति मिली हुई। जबकि बीएससी की डिग्री आमतौर पर विज्ञान विषयों के लिए होती है। विश्वविद्यालय कला, मानविकी, प्रबंधन और वाणिज्य जैसे विषयों के लिए भी एक और दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए मास्टर ऑफ साइंस (एमएस) नामकरण को अपना सकते हैं।