23-11-2023
मुनीष कुमार, संयोजक समाजवादी लोकमंच
कॉर्बेट नेशनल पार्क को मजदूरों की कब्रगाह बना दिया गया है। 11 दिन में दो मजदूरों को काम करते हुए बाघ ने मार डाला परंतु मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने बाघ को गोली नहीं मारी। सुरक्षा कर्मियों ने हवाई फायर करने की जगह बाघ को गोली मार दी होती तो मजदूरों की जान बच जाती।
उत्तराखंड एवं कार्बेट पार्क में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ता जा रहा है आए दिन बाघ, तेंदूए, हाथी आदि हिंसक जानवर आम लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। पूर्व में भी कार्बेट नेशनल पार्क में कई मजदूर-कर्मचारी बाघ के हमले का शिकार हो चुके हैं। परंतु पार्क प्रशासन ने मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीरता से काम नहीं किया।किसी भी जानवर की जान इंसान की जान से ज्यादा कीमती नहीं है।
इंसान और जानवर में से पहले इंसान को बचाया जाना चाहिए परंतु वन प्रशासन इंसानी जीवन की शर्त पर बाघ तथा दूसरे जंगली जानवरों का संरक्षण कर रहा है तथा इंसानों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है।हमारी मांग है कि पार्क क्षेत्र में मजदूरों को बाघ के सामने निहत्ते काम करवाने के मामलों की जांच करवाई जाए तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए व जंगली जानवरों के हमले में मारे गए मजदूरों को 25 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।