फिल्म पत्रकार दीप भट्ट की पुस्तक “देव-नामा” का लोकार्पण

Spread the love

*** फिल्म पत्रकार दीप भट्ट की पुस्तक “देव-नामा” का लोकार्पण *** ************************************

हल्द्वानी – भारतीय सिनेमा के सदाबहार अभिनेता रहे देवानंद का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। उन्हें केवल एक फिल्मकार फिल्म अभिनेता के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन इंसान के तौर पर भी इस वर्ष याद किया जा रहा है।

देवानंद पर अब तक न जाने कितने लेख लिखे गए हैं, पर उनके जीवन के कुछ पहलू उनके चाहने वालों और दूसरे लोगों से अछूते ही रहे हैं। उनकी जन्म शताब्दी पर उनके जीवन के अनछुए पहलूओं और देवानंद को एक अलग नजरिए से देखा है प्रसिद्ध फ़िल्म समीक्षक और वरिष्ठ पत्रकार दीप भट्ट ने। जो कई बार देवानंद से मिले और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को बहुत नजदीक से जांचा-परखा। इस दौरान दीपक भट्ट ने देवानंद से लंबी-लंबी बातचीत भी की। इसी सब को समेटे हुए देवानंद की जन्म शताब्दी पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि के तौर पर उनकी किताब “देव-नामा (मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया)” कुछ दिन पहले ही आई है।

अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (प्रा.) लिमिटेड नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित दीप भट्ट की किताब देव-नामा का लोकार्पण उनके पत्रकार मित्रों और चिंतनशील लोगों के बीच जगदंबा नगर के एक वैंकट हाल में किया गया। लोकार्पण के बाद लगभग दो घंटे तक इस किताब पर लेखक के साथ देवानंद के जीवन और देव-नामा पर विमर्श किया गया। पर्यावरण चिंतक प्रभात उप्रेती ने किताब पर चर्चा करते हुए कहा कि भट्ट की यह किताब देवानंद के व्यक्तित्व के कई अनजान पक्षों को सामने लाती है। देवानंद का आकर्षण उनके समय के अन्य अभिनेताओं से कहीं अधिक रहा है। आज भी युवा देवानंद में रोमानिया खोजते हुए दिखाई दे जाते हैं।

फ़िल्म समीक्षक और पुस्तक के लेखक दीप भट्ट ने अपनी किताब पर चर्चा करते हुए कहा कि देवानंद जैसा अभिनेता हमेशा पैदा नहीं होता। वह जिस तरह की जिंदगी अपने अभिनय की दुनिया में जीते थे, वैसे ही वे अपने असल जिंदगी में भी थे। वह बहुत ही व्यवहार कुशल और अपनत्व रखने वाले अभिनेता थे। वैसा फिल्मी दुनिया में बहुत कम दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि देवानंद का संबंध सिर्फ फिल्म की रोमानियक तक ही सीमित नहीं था। वह अपने समय और समाज को भी बहुत बारीकी से देखते और उस पर टिप्पणी करने से भी गुरेज नहीं करते थे। इसी कारण जब आपातकाल के दौरान फिल्म दुनिया के अधिकतर लोगों ने चुप्पी साध ली थी, तब देवानंद ने आपातकाल का जमकर विरोध ही नहीं किया, बल्कि अपनी एक राजनैतिक पार्टी “नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया” भी बनाई। देवानंद का ऐसा करना बताता है कि वह कितने लोकतांत्रिक व्यक्ति थे। वह समाज के हर वर्ग की आवाज को मुखरता देने के पक्षधर रहे। इसी तरह की उनके व्यक्तित्व की अनेक खूबियां इस पुस्तक में पाठकों को पढ़ने को मिलेंगी।

लेखक दीप भट्ट के साथ पुस्तक पर विमर्श को लेकर ओपी पांडे, वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला, अध्यापक दीपक नौंगाई ‘अकेला”, कवि नरेंद्र बंगारी आदि ने भी अपने विचार रखे। भास्कर उप्रेती ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान प्रसिद्ध छायाकार प्रदीप पांडे, कमल जोशी, दीक्षा जोशी, महेश भट्ट, मनोज पांडे, मदन मोहन आदि अनेक लोग मौजूद रहे।

  • Related Posts

    उत्तराखंड: धराली आपदा में मुख्यमंत्री धामी ने ग्राउंड जीरो का दौरा किया, बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी

    Spread the love

    Spread the love उत्तराखंड: धराली आपदा में बचाव कार्य तेज़, 50 लोगों को सुरक्षित निकाला गया; स्थानीय समुदाय और सेना ने दिखाई अद्भुत एकजुटता देहरादून, 6 अगस्त, 2025 – उत्तराखंड…

    रुद्रपुर बना शूटिंग हब, वेब सीरीज़ ‘TALASH’ का प्रमुख सीन CA जयप्रकाश अग्रवाल के ऑफिस में शूट

    Spread the love

    Spread the love 📰 रुद्रपुर में वेब सीरीज़ ‘TALASH’ की शूटिंग जारी, CA जयप्रकाश अग्रवाल के कार्यालय में फिल्माया गया प्रमुख दृश्य रुद्रपुर।शहर में इन दिनों वेब सीरीज़ ‘TALASH’ की…

    Leave a Reply