आपके संघर्षों का परिणाम है सफलता।

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सीखने और दुनिया को समझने के लिहाज़ से विश्वविद्यालय किसी भी छात्र-छात्रा को एक व्यापक दृष्टिकोण देने में मददगार साबित होते हैं। यह छात्रों को अपने संदर्भ को समझने, विविधता, वैश्विक और स्थानीय संदर्भों के संबंध समझने में मदद करते हैं। देखा गया है कि अक्सर शिक्षार्थी, विश्वविद्यालय से अपनी ज़िंदगी की राहें खुद से बनाते हैं।

जब भी विश्वविद्यालय का जिक्र होता है जवाहर लाल नेहरू का यह उद्धरण बार-बार दोहराया जाता है। “एक विश्वविद्यालय मानवतावाद के लिए, सहिष्णुता के लिए, तर्क के लिए, विचारों के साहसिक कार्य और सत्य की खोज के लिए खड़ा होता है।”

नानकमत्ता पब्लिक स्कूल ने अपनी स्थापना के शुरुआती समय से ही इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षार्थियों को एक बार विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका ज़रूर मिले। लेकिन यह भी सच है कि हमारी दुनिया में उच्च शिक्षा कुछ ही विशेषाधिकारों से संपन्न बच्चों के लिए ही संभव रही है।

इस क्रम में लगभग एक दर्जन विद्यार्थियों ने दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। लेकिन हॉस्टल सुविधा न होने के कारण ग्रामीण पृष्ठभूमि के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय एक कठिन विकल्प के रूप में उभरा। पिछले कुछ सालों में उच्च शिक्षा में सरकारी निवेश के कम होने का असर विश्वविद्यालय की गुणवत्ता पर भी देखा गया। इसी बीच 3 साल पहले अशोका विश्वविद्यालय के बारे में पता चला कि कुछ बच्चों को 100% छात्रवृत्ति मिल सकती है तो विद्यालय ने अशोका से संपर्क किया और वहां के काउंसलर की मदद से हर साल नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में सेशंस हुए। परिणामस्वरूप पिछले साल तक नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के पांच विद्यार्थियों का अशोका में 100% छात्रवृत्ति के साथ प्रवेश हुआ। और इस साल भी 5 स्टुडेंट्स का।

इसी क्रम में बेंगलुरू स्थित अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की समावेशीय प्रवेश प्रणाली, विविधता को सेलिब्रेट करने वाले कैंपस, और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करने वाली नीति संज्ञान में आई जिस कारण अकादमिक वर्ष 2023 में एक छात्र का प्रवेश अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में हुआ। इस साल छात्रों ने पूरी क्लास में रणनीति बनाकर तैयारी की और उन्हें साथ मिला अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्र अंकित बिष्ट जी का। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के 15 छात्रों का अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के बेंगलुरु कैंपस और भोपाल केंपस में सिलेक्शन हुआ।

इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षकों, मैंटर्स और अभिभावकों का भी साथ स्टुडेंट्स को मिला। 15 छात्रों में से कुछ छात्रों ने अशोका विश्वविद्यालय में प्रवेश होने के कारण इस ऑफ़र को स्वीकार नहीं किया और कुछ ने अपने विषय संबंधी प्राथमिकताओं के आधार पर अजीम प्रेमजी से इतर अन्य कोर्सों का चयन किया।

इसी बीच पिछले हफ़्ते चार शिक्षार्थियों को समर प्रोग्राम के लिए बेंगलुरु स्थित कैंपस बुलाया गया है। कुछ छात्र जुलाई मध्य में इन कैंपस में अपनी सीखने की यात्रा शुरू के लिए जाएंगे। उम्मीद है विश्वविद्यालय प्रवास के दौरान यह छात्र अपने रास्ते ख़ुद से बनाएंगे।

अभी तो नानकमत्ता से 2200 किलोमीटर दूर पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की मदद से खुद से इस कैंपस में पहली पीढ़ी की महिला शिक्षार्थियों का जाना भी अपने आप में एक उपलब्धि सा लगता है। मुख्यतः उन छात्राओं के लिए जिनके लिए हमारी दुनिया में घर से बाहर निकलने के मौके कम ही रहे हैं।

शुक्रिया आप सभी अभिभावकों, छात्रों, शिक्षकों, मैंटर्स और शुभचिंतकों का जिनके कारण यह यात्रा जारी है।

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