यहां एक ही खाते की जमीन सत्रह बार रजिस्ट्री होकर बिकी कब्जा किसी को नहीं ।

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यह लगता हैं कि तहसील कर्मी , अन्य अधिकारी या अन्य लोगों की मिली भगत से संभव हो‌ रहा होगा। जहां रजिस्ट्री को मजबूत माना जाता था आज वह भी…..

हल्द्वानी। लोग सपना देखते हैं हल्द्वानी या उसके आस-पास एक जमीन का टुकड़ा लेने का , बमुश्किल वह अपने जीवन की कमाई से हल्द्वानी या उसके आसपास राजस्व भूमि में  जमीन के दलालों से ( प्रॉपर्टी डीलर) एक टुकड़ा जमीन खरीद लेते हैं, बकायदा आपको रजिस्ट्री करा कर देते हैं । तो आप उसे सुरक्षित  मान लेते हैं और  4-5 साल बाद आप किसी तरह घर बने बनाने के लिए पैसों का इंतजाम करते हैं और अपनी जमीन पर मकान बनाने को जाते हैं। तो वहां आपकी जमीन होती ही नहीं वहां किसी का घर बन गया होता है या वह जमीन किसी और के कब्जे में चली जाती है और आप निराश होकर  अधिकारियों के चक्कर लगाते हैं तब भी आपको कोई राहत मिलने वाली नहीं है यह बड़ा खेल हल्द्वानी वह आसपास के प्रॉपर्टी डीलरों से चल रहा है, यहां पर यह कहना भी उचित लगता है कि शायद यह पूरे उत्तराखंड में ऐसा ही हो रहा हो। बाकी अन्य प्रदेशों का तो नहीं कहा जा सकता हमारे यहां तो इसके पुख्ता सबूत हैं। 

  

   यहां यह समझ जा सकता है कि सरकार को केवल अपनी रजिस्ट्री के पैसों से लेना देना है और जो नागरिक परेशान हो रहे हैं उनके लिए कोई कानून नहीं बना है। यह मामला हल्द्वानी के ईसाई नगर का  है जिसमें फरियादी कमिश्नर दीपक रावत से भी मिले परंतु उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ यह क्षेत्र में बहुत बड़ा प्रॉपर्टी के नाम से धोखाधड़ी हो रही है सचेत रहें अपनी जमीन पर तुरंत ही मकान बनाने का काम शुरू कर दें या तो लोन लेकर कुछ भी करें रजिस्ट्री ही तुम्हारी जमीन नहीं है ऐसा पुख्ता सबूत हमारे पास है। 

 आपको बताते चलें कि हल्द्वानी के ईसाई नगर का, जहां एक मां ने अपने छः बेटों को पुश्तैनी मकान एवं कृषि हेतु भूमि पर रहने और उपभोग करने को दिया था, पर एक बेटे राकेश एडमंड ने मां की वसीयत के खिलाफ जाकर उक्त भूमि को एक बार नहीं बल्कि सत्रह बार अलग लोगों को बेच दिया। शिकायतकर्ता बताते हैं कि राकेश के साथ उसकी पत्नी व एक भाई राजेश भी इस खेल में शामिल हैं जिसकी पुष्टि इनके एग्रीमेंट व रजिष्ट्री के दस्तावेजों से होती है।

तहसील हल्द्वानी की उद्धरण खतौनी के हिसाब से स्व. शर्लेट एडमंड, पत्नी स्व. अशोक एडमंड की खाता खतौनी संख्या 120 में दो खाते क्रमशः 103 व 96 हैं। ये खाते छः भाइयों के नाम सामूहिक रूप से दर्ज हैं।पर इन दोनों खातों में से राकेश एडमंड ने 17 ( सत्रह )अलग अलग लोगों को जमीनें बेची हैं। जिनमें से एक के साथ राजिटर्ड एग्रीमेंट व सोलह की बकायदा रजिष्ट्री की गई हैं और उनमें से दो की दाखिल खारिज हो चुकी है, पर कब्जा अभी किसी को नहीं दिया गया है। क्योंकि वह संभव ही नहीं है।

   स्व. शर्लेट एडमंड कुल भूमि .570 हेक्टेयर यानी 61354 ( इकसठ हजार तीन सौ चव्वन ) वर्ग फिट हुई, जिसमें से छः भाइयों की बराबर हिस्सेदारी देखी जाए तो वसीयत के हिसाब से एक भाई के हिस्से 10225 वर्ग फिट भूमि उपयोग भर को आयी। मगर राकेश एडमंड ने सामूहिक उपयोग की भूमि को खुर्द बुर्द कर अकेले ही 44600 वर्ग फिट भूमि अवैध रूप से बेच डाली। यह सिलसिला शुरू हुआ 16 सितंबर 2020 से जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है, दस्तावेजों के हिसाब से 14 फरवरी 2024 को आंखरी राजिष्ट्री हुई है।

सबसे पहले राकेश एडमंड ने 16 सितंबर 2020 में अपनी पत्नी बबिता एडमंड को 2000 वर्ग फिट भूमि खसरा संख्या 103 से दान दी, फिर 19 सितंबर 2020 को राकेश एडमंड ने 3000 वर्ग फिट भूमि पार्वती देवी को बेची, फिर 11 दिसंबर 2020 को 4000 वर्ग फिट भूमि राकेश क्विरा को बेची, फिर जब पार्वती देवी को कुछ शंका हुई तो उन्होंने अपनी रकम लेकर 2 फरवरी 2022 को उक्त भूमि राकेश एडमंड के नाम कर दी, फिर 14 मार्च 2022 में राकेश एडमंड ने संजू गुप्ता को 3000 वर्ग फिट भूमि बेच दी। इसके बाद खसरा संख्या 96 से राकेश ने फिर अपनी पत्नी को 1350 वर्ग फिट भूमि दान कर दी, फिर खसरा संख्या 103 से राकेश ने 4 अक्तूबर 2022 को 3000 वर्ग फिट भूमि छतर सिंह को बेची, फिर खसरा संख्या 96 से 1 फरवरी 2023 को राकेश ने बिक्रम सिंह को 2000 वर्ग फिट भूमि बेची, फिर खसरा 96 से ही 2000 वर्ग फिट भूमि 1 फरवरी को हो नितिन कुमार को 2000 वर्ग फिट भूमि बेची, एक फरवरी बाद फिर खसरा संख्या 103 से 4000 वर्ग फिट भूमि राकेश क्विरा अपनी रकम वापस लेकर राकेश को वापस बेच दी, फिर मई माह 2023 की 15 तारीख को खसरा संख्या 103 से राकेश एडमंड ने मोनिका को 1310 वर्ग फिट भूमि बेची, फिर इसी दिन अहमद अली को भी खसरा संख्या 103 से 2690 वर्गफिट भूमि बेची, पर अहमद अली ने समय से दाखिल खारिज करा ली। उसके बाद फिर खसरा संख्या 96 से राकेश ने 22 नवंबर 2023 को संजीव कुमार राठौर को 4000 वर्ग फिट भूमि बेची। वापस खसरा संख्या 103 से 2 जनवरी 2024 में पंकज पंत को 4000 वर्ग फिट भूमि सहर्ष बेची, फिर वापस खसरा संख्या 96 से 3400 वर्ग फिट भूमि राकेश ने गिरीश बिष्ट को बेची। आंखरी बार मोनिका ने 14 फरवरी 2024 को अपनी रकम वापस लेकर 1310 वर्ग फिट भूमि राकेश एडमंड को बेच दी।

राकेश एडमंड तीन वर्ष से ज्यादा समय यह खेल खेलता रहा और किसी को पता ही नहीं चला, यह कैसे संभव है। जमीन की खरीद फरोख्त से पहले जमीन देखी जाती है और नाप जोख को पटवारी मौके पर जाता है फिर प्रारूप बनता है, उसके बाद रजिष्ट्री होती है। हो सकता है यह खेल तहसील के भीतर रणनीति बना कर खेला गया हो कि खेत किसी का दिखाया गया हो खसरा नंबर अपना डाला गया हो। वर्ना ऐसा कैसे हो सकता है सत्रह बार जमीन बिकी और घर पर अन्य भाइयों ने किसी खरीदार या पटवारी को आते जाते न देखा हो।

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