पापा मैं सबसे पहले मरूंगा, पहला इंजेक्शन मुझे लगा दो, बेइंतहा दर्द झेला… डॉ साहब के परिवार की दास्तां

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पापा मैं सबसे पहले मरूंगा, पहला इंजेक्शन मुझे लगा दो काशीपुर के एक डाक्टर परिवार की कहानी जो महंगे इलाज से टूट गया ऐसा परिवार जिसने बेइंतहा दर्द झेला…और जान देकर सिस्टम की पोल खोली पापा मैं सबसे पहले मरूंगा, पहला इंजेक्शन मुझे लगा दो।

दिल को चीरकर रख देने वाले ये शब्द मंगलवार रात ईशान ने अपने पापा से कहे। यह शब्द सुनकर डॉ.शर्मा की आंखें भी डबडबा गईं लेकिन हमेशा अपने ईशान के हीरो रहे पापा ने दुनिया छोड़ने से पहले अपने बेटे की ये इच्छा भी पूरी की। लेकिन इस बार पहला मौका था, जब उन्होंने अपने लाडले से धोखा किया। पापा के रहते ईशान कभी उनसे गुस्सा नहीं हुआ लेकिन बुधवार को उनके शव के पास बैठा मासूम उनसे बहुत नाराज था। उसका गुस्सा देख वहां मौजूद लोगों का गला भी भर आया। ईशान को पापा से शिकायत थी कि उन्होंने खुद और मां को जहरीला इंजेक्शन लगाया और उसे सामान्य इंजेक्शन लगाकर इस दुनिया में छोड़ गए।

मूलरूप से देहरादून के निवासी 50 डॉ. इंद्रेश शर्मा (50) पत्नी वर्षा शर्मा (45) बेटे ईशान शर्मा (12) के साथ नगर की सैनिक कॉलोनी में रह रहे थे। वह बीएएमएस डॉक्टर थे और इन दिनों कृष्णा हॉस्पिटल में बतौर ईएमओ कार्यरत थे।

वर्षा शर्मा के कैंसर से लड़ते-लड़ते डॉ.इंद्रेश शर्मा का परिवार बीते 12 साल में आर्थिक और मानसिक रूप से भले ही बुरी तरह टूट चुका था लेकिन पारिवारिक रूप से जबरदस्त जुड़ाव था। पूरा परिवार एक-दूसरे इतना प्यार करता था कि मौत भी उन्हें अलग करने की नहीं सोच सकती थी। यही वजह थी कि परिवार में तीन दिन से आत्महत्या की तैयारी चल रही थी। सब साथ मरना चाहते थे इसलिए घर का माहौल सामान्य था। यही वजह रही कि कोई हकीकत को भांप भी नहीं पाया। ईशान ने पुलिस को बताया कि मंगलवार शाम भी पापा कामकाज पूरा कर सामान्य दिनों की तरह घर आए।

जबकि पूरे परिवार को पता था कि आज की रात उन्हें दुनिया को अलविदा कहना है। पूरे परिवार ने रात का खाना साथ खाया। इसके बाद ईशान की जिद पर पापा ने बेटे के साथ लूडो भी खेला। बेटे की जिद पर एक घंटे तक लूडो का खेल चलता रहा। इसके बाद डॉ. शर्मा ने पूरे परिवार के सामने सुसाइड नोट लिखा और इसके बाद तीनों ने एक-दूसरे को जी भरकर देखा। अब दुनिया से विदा लेने का पल आ गया था। डॉ.शर्मा ने पास ही रखे थैले से इंजेक्शन निकाले और उसमें दवा भरने लगे। डॉ.शर्मा पहला इंजेक्शन से कैंसर से लड़ रही पत्नी को लगाना चाहते थे। वह वर्षा को दर्द से मुक्त होते देखना चाहते थे लेकिन ईशान ने हमेशा की तरह यहां भी मैं सबसे पहले वाली जिद पकड़ ली।

इसके बाद डॉ.शर्मा ने दूसरा इंजेक्शन पकड़ा और बेटे को लगा दिया। कुछ देर बाद ईशान सो गया। इसके बाद वह सुबह ही उठा। बुधवार की ये सुबह उसके जीवन की सबसे काली सुबह रही। उसे उम्मीद थी कि मम्मी-पापा उसे इस दुनिया में अकेला नहीं छोड़कर जाएंगे। लेकिन यह बच्चा शायद ये नहीं जानता था कि कोई अपने कलेजे के टुकड़े को मौत कैसे दे सकता है।

घर में निकला पांच किलो चावल, दो किलो आटाडॉक्टर परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। खुदकुशी के बाद जब घर में देखा गया तो रसोई में बामुश्किल पांच किलो चावल और करीब एक से दो किलो आटा ही रखा नजर आया। घर के बाथरूम में भी एक साबुन के अलावा नहाने का कोई सामान नही दिखाई दिया। मूल रूप से देहरादून निवासी डॉ.इंद्रेश शर्मा करीब 10-12 साल पहले पत्नी वर्षा, बेटी देवांशी और बेटे ईशान के साथ काशीपुर आ गए थे। वर्तमान में वह सैनिक कॉलोनी में परिवार के साथ किराये के मकान में रह रहे थे और चामुंडा मंदिर के पास स्थित एक निजी अस्पताल में इमरजेंसी मेडिकल अफसर थे।

पत्नी वर्षा पिछले काफी समय से कैंसर से पीड़ित थीं। वह लगातार पत्नी का इलाज करा रहे थे, लेकिन कोई फायदा तो नहीं हुआ बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई। बताया जा रहा है कि पत्नी के इलाज के लिए उन्होंने कई लोगों से कर्ज भी लिया था। वहीं पत्नी को वह अपना ब्लड भी देने लगे। काफी बार ब्लड देने के कारण वह भी बीमार रहने लगे। आर्थिक स्थित ऐसी बिगड़ी की वर्ष 2020 में उन्होंने इकलौते बेटे ईशान की पढ़ाई भी छुड़वा दी।

आर्थिक स्थिति से बेटा भी वाकिफ था, इसलिये उसने भी कभी स्कूल जाने की जिद नहीं की। धीरे-धीरे डॉक्टर शर्मा तनाव में रहने लगे और उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठा लिया। आर्थिक तंगी ने इकलौते बेटे को भी स्कूल से कर दिया। महरूम पत्नी का कैंसर जैसी बीमारी का इलाज कराते-कराते डॉक्टर शर्मा की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो गई कि वह बेटे को भी स्कूल में पढ़ा नही पाये। इस बीच रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी।

परिवार की इस मजबूरी के चलते इकलौता बेटा ईशान चार साल से बिना पढ़ाई के घर बैठा है। हालांकि पिता हालात सही होने पर स्कूल में एडमिशन दिलाने की बात कहते रहे और अब पिता ही क्या मां भी दुनिया से विदा हो गईं। ऐसे में बेटे की पढ़ाई का सपना फिलहाल टूट गया।

सहयोग -फेस बुक में राजीव पांडे जी की बाल से

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