उल्लेखनीय है कि ‘वी गेट टू लिव’ में लेखक, अनुभव कांडपालने प्राचीन ज्ञान, आधुनिक विज्ञान और व्यक्तिगत अनुभवों से अंतर्दृष्टि को एक साथ जोड़ कर उन जटिल संबंधों के जाल पर प्रकाश डाला है ,जो हमें हमारे आस-पास की दुनिया से जोड़ने की कोशिश करते हैं।
आत्म-खोज की एक गहन यात्रा का दस्तावेज है – वी गेट टू लिव
देहरादून। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं उत्तराखंड के युवा लेखक व दार्शनिक अध्येता अनुभव कांडपाल की नई पुस्तक, ‘वी गेट टू लिव: एजर्नी इन टू द वंडर्स ऑफ नेचर एंड हाउ वी आर कनेक्टेड टू एवरी थिंग’ का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के बाद एक चर्चा भी की गई जिसमें लाल बहादुर प्रशासनिक अकादमी मसूरी के निदेशक रहे डॉ.संजीव चोपड़ा,पूर्व पुलिस महानिदेशक पुलिस आलोक बी लाल, डीएवी पीजी कालेज , देहरादून के पूर्व प्राचार्य रहे श्री देवेंद्र भसीन और डॉ. सविता मोहन, पूर्व निदेशक(उच्च शिक्षा), उत्तराखंड ने भाग लिया। चर्चा में पुस्तक के विविध पक्षों पर गहन बातचीत की गई। पुस्तक के बारे में कहा गया कि यह विचारोत्तेजक कृति है जो पाठकों को वास्तविकता कीअपनी धारणाओं को चुनौती देने और आत्म-खोज की एक परिवर्तनकारी यात्रा पर निकलने के लिए आमंत्रित करने का सायास प्रयास करती है।
उल्लेखनीय है कि ‘वी गेट टू लिव’ में लेखक, अनुभव कांडपालने प्राचीन ज्ञान, आधुनिक विज्ञान और व्यक्तिगत अनुभवों से अंतर्दृष्टि को एक साथ जोड़ कर उन जटिल संबंधों के जाल पर प्रकाश डाला है ,जो हमें हमारे आस-पास की दुनिया से जोड़ने की कोशिश करते हैं।
गहन चिंतन और आकर्षक उपाख्यानों की एक श्रृंखला के माध्यम से, लेखक पाठकों को ब्रह्मांड में उनके स्थान और अस्तित्व की वास्तविक प्रकृति की गहरी समझ के लिए मार्ग दर्शन करता है।
अनुभव का यह अनूठा दृष्टिकोण उनकी विविध पृष्ठभूमि और दुनिया भर में व्यापक यात्राओं से आकार लेता है, जटिल दार्शनिक अवधारणाओं के लिए एक नवीन और सरल दृष्टि प्रदान करता है। उनकी पुस्तक वियोग के भ्रम, मनकी शक्ति, वास्तविकता का स्वभाव, प्रेम और आध्यात्म की परिवर्तनकारी क्षमता जैसे विषयों की भी खोज करती है।
‘वी गेट टू लिव’ सिर्फ़ एक किताब नहीं अपितु एक आत्म-खोज और व्यक्तिगत विकास की यात्रा पर निकलने का आमंत्रण भी है। अनुभव की अंतर्दृष्टि किसी भी व्यक्ति को प्रभावित करेगीजो खुद को और अपने आस-पास की दुनिया को गहराई से समझना चाहता है।यह पुस्तक पाठकों को अपनी मान्यताओं पर सवाल उठाने, अनिश्चितता की सुंदरता को अपनाने और वर्तमान क्षण में अर्थ खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।
कुल मिलाकर यह कार्यक्रम लोगों लिए एक तरह से परिवर्तनकारी अनुभव साबित हुआ, जिससे उन्हें उद्देश्य की नई भावना और सभी चीजों के परस्पर संबंध के लिए सराहना मिली।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित सभी जनों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन लेखिका व साहित्यकार श्रीमती बीना बेंजवाल ने किया।
कार्यक्रम में वैज्ञानिक सलाहकार डॉ.जी.रौतेला , पूर्व बैंक मैनेजर देवेंद्र कांडपाल, संजय कुमार, वंदना कांडपाल, शोध सहायक सुंदर सिंह बिष्ट, शैलेंद्र नौटियाल, सुधीर बिष्ट, पी.सी.कांडपाल , वी के डोभाल, विनोद सकलानी, के. बी. नैथानी, मेघा विल्सन, अतुल शर्मा,भारती पांडे,रजनीश त्रिवेदी,मनोज कुमार सहित कई पाठक,लेखक व साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।