कक्षा बारहवीं का विद्यार्थी अपने गांव की समस्या पर लेख व कविता के माध्यम से अपने गांव की बात जो पूरे उत्तराखंड वासियों के लिए है।
मैंने यह लेख व कविता मूल रूप से अपने गांव जैनकरास(बागेश्वर) के ऊपर लिखी है क्योंकि हमारे गांव से पिछले 10 वर्ष में करीबन 60% लोगों में पलायन कर दिया है, पलायन का मुख्य कारण मूलभूत समस्या सड़क, शिक्षण संस्थान, व्यवसाय, रोजगार व खेती-बाड़ी में जंगली जानवरों का हस्तक्षेप। शिक्षण संस्थान तो थे लेकिन उन शिक्षण संस्थानों में बच्चों की कमी होने के कारण शिक्षक को पढ़ाने में रुचि भी नहीं आती थी।
लोगों के पास अपना गुजारा चला सके जितना भी अनाज होता था , उसे सब जंगली जानवर खा जाते थे और केवल वहां खंडहर घर पड़े हुए हैं हम साल में एक बार सैलानियों की तरह उधर जाते हैं और घूम के आ जाते हैं । जब इस बार मैं अपने गांव गया तो मैंने वहां देखा कि जो 40% व्यक्ति बचे हैं उनमें से 25% बुजुर्ग ही है ऐसी स्थिति में आने वाले 10 साल में हमारे गांव से सब लोग पलायन कर जाएंगे और केवल 5% लोग ही रह जाएंगे।
मेरा डबल इंजन सरकार माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी से विनम्र निवेदन है की वह हमारे गांव में और हमारे क्षेत्र में स्वरोजगार यानी कि प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा दें ताकि लोग वहां से पलायन ना करें अगर लोगों की यह समस्याएं दूर हो जाएंगी तो लोग वापस आ जाएंगे और इसी के साथ मैं अपनी एक बात और कहना चाहता हूं की जो लोग क्षेत्रीय एरिया भाबर और दिल्ली जैसे महानगरों में बसने लग गए उनको केवल अपने उत्तराखंड के नाम से ही जाने जाएंगे। उनके पास ना ही अपनी बोली होगी, ना ही उन्हें अपने पहनावे के बारे में ज्यादा पता होगा और ना अपने रीति रिवाज के बारे में जिससे कि हमारे उत्तराखंड का रीति रिवाज पहनावा बोली यह सब एक किताबों में लिखा हुआ इतिहास बन कर रह जाएगा। मेरी गुजारिश है कि लोगों को पहाड़ों से पलायन करने पर रोका जाए।
लेखक (गोकुला नन्द जोशी) चाइल्ड सैक्रेड़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल बिंदुखत्ता लालकुआं नैनीताल का छात्र है व मूल निवास जैनकरास जेनोटी पालड़ी जिला बागेश्वर।
कविता
*भाबर किले गो छा*
हे भै बैनियो तुम भाबर किलै गछा
तुमा्र बिना य पहाड़ सुनसान लागना
उ कस बखत छी जब पुरि बखै भरि रूंछी
आजकल बस एकाद बुड़ बाड़ि बच रयि
उ गाड़ कास लागछि जब उमें ग्यूं धानेकि गुड़ै हुंछी
आ्ब उन गाडों में झू जा्म रौनानोंक हाहाकाक सुणि बेर बुड़ि बाड़ी खुसि है रौ छघ
आज बिना नानौक सुनसान है रौ
उ आम हरियाव पुछन बखत एक गीत गाछी
उ बुबु होली में ठाड़ है बेर होलिक रंगत बढोछी
उ लै एक त्यार हुं छी जब सारै परिवार एक है बेर त्यार बनूछी
लगड़ पुरि रैत दगाड़ गडेरिक साग हुं छी
बल्द जोतन बखत बौज्यू गाङ में जांछी
नानतिन हाथ में चहा गुणैकि डोई लि बेर पछिल बै जांछी
झवाड़ में आमा बुबुक गीत हुंछी
हम नानोंक लिजि जैसि त्यार हुंछी
बकार गोरूक ग्वा्व जांछया
काफवा्क बोटाक टुक में भै बेर काफव खांछियां
उ चूलक भात झोई कतुक मिठ लागछि
आज तुम सबुनेकि जब याद उछी
तो य आँख भरि ऊनी
उ ब्या बरातूंक न्योलिक याद आई लै ऊनी
मालटा दाण, सानियक निमू भौतै निस्वास लगू
तुमरि याद में आज लै
उ गौं घरों पना सुनसानी है जां
तुम यतुक भल माहौल किलै छोड़ि गछा
अरे म्या्र भै बै तुम भाबर किले गछा *
गोकुला नन्द जोशी
पिताजी का नाम श्री विपिन चंद्र जोशी
पता करासमाफी जेनोटी पालड़ी बागेश्वर
वर्तमान पता बिन्दुखत्ता लालकुआं नैनीताल
विद्यालय का नाम चाइल्ड सैक्रेड़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल।