
रिपोर्टर- मुकेश कुमार
हल्द्वानी।
हल्द्वानी में अवैध निर्माणों के मामले ने प्राधिकरण की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रोड चौड़ीकरण की आड़ में पुराने शारदा होटल को 70 दुकानों वाले भव्य कॉम्प्लेक्स में तब्दील कर दिया गया। महीनों तक खुलेआम काम चलता रहा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे रहे। अब जबकि कॉम्प्लेक्स पूरी तरह तैयार हो गया, प्राधिकरण दो दिनों से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रहा है। सवाल उठता है – जब यह इमारत बन रही थी तब प्राधिकरण कहां था?

यही नहीं, रेलवे बाजार में अनवर उल्लाह के होटल का मामला तो और भी चौंकाने वाला है। इस होटल को 2022 में सील किया गया था, लेकिन सील तोड़कर बीमेंट से लेकर तीन मंजिल तक का निर्माण खड़ा कर दिया गया। कई शिकायतों के बावजूद इस होटल को क्यों नहीं ढहाया गया? क्या इसके पीछे किसी बड़े खेल की गंध नहीं आती?
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राधिकरण सिर्फ कमजोरों पर अपनी ताकत दिखाता है। छोटे दुकानदारों की दुकानें तोड़ दी जाती हैं, लेकिन बड़े अवैध निर्माण पर अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं – “ये सब मिलीभगत का खेल है, बड़े लोग बच जाते हैं और आम जनता पिसती है।”
शहर में चर्चा है कि अवैध निर्माण रोकने के नाम पर होने वाली यह कार्रवाई सिर्फ दिखावा है। अगर नियम सबके लिए बराबर हैं, तो फिर रेलवे बाजार के होटल पर बुलडोज़र क्यों नहीं चला? क्या प्राधिकरण की आंखों पर प्रभावशाली लोगों का हाथ है?

यह मामला अब सिर्फ अवैध निर्माण का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और प्रशासनिक मिलीभगत का मुद्दा बन गया है। शहर के लोग पूछ रहे हैं – “क्या हल्द्वानी में कानून सिर्फ गरीबों और कमजोरों के लिए है?”