उत्तराखंड पशुपालन विभाग की बड़ी पहल, 89 पशुचिकित्सकों की नियुक्ति से सुदृढ़ होंगी पशु स्वास्थ्य सेवाएं

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उत्तराखंड पशुपालन विभाग की बड़ी पहल, 89 पशुचिकित्सकों की नियुक्ति से सुदृढ़ होंगी पशु स्वास्थ्य सेवाएं

उत्तराखंड में पशुपालन विभाग ने एक अहम फैसला लेते हुए उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार से चयनित 89 नवचयनित पशुचिकित्साधिकारियों की तैनाती के आदेश जारी कर दिए हैं। ये नियुक्तियां राज्य के विभिन्न पशु चिकित्सालयों और संस्थाओं में की जा रही हैं, जिसका उद्देश्य ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में पशुधन स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है।

यह जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के अंतर्गत हेमंत सिंह गोनिया द्वारा मांगी गई सूचना में सामने आई है। उन्होंने राज्य के कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों में सरकारी पशु चिकित्सालयों की संख्या, स्वीकृत व रिक्त पदों, आउटसोर्सिंग के माध्यम से की गई तैनातियों और रिक्त पदों को भरने के लिए शासन द्वारा की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी चाही थी।

विभाग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान में किसी भी पशुचिकित्साधिकारी की तैनाती आउटसोर्स माध्यम से नहीं की गई है तथा सभी नियुक्तियां नियमित चयन प्रक्रिया से की गई हैं। नव-नियुक्त चिकित्सकों को 10 दिनों के भीतर संबंधित मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी या परियोजना निदेशक को योगदान देने का निर्देश दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य के कई जिलों में लंबे समय से चिकित्सकों के पद रिक्त हैं, जिनमें अब क्रमबद्ध रूप से नियुक्तियां की जा रही हैं।

  • अल्मोड़ा के हवालबाग,
  • पिथौरागढ़ के मुनस्यारी, मूनाकोट और बेरीनाग,
  • बागेश्वर के शामा, कपकोट और नामती चेटाबगड़,
  • ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर व रोग अनुसंधान प्रयोगशाला,
  • पौड़ी गढ़वाल के रीठाखाल, यमकेश्वर, बीरोंखाल और दुगड्डा,
  • देहरादून के मसूरी और रायपुर शामिल हैं।

साथ ही, हरिद्वार जनपद में भी कई स्थानों पर पशुचिकित्सकों के पद रिक्त हैं, जिनमें गोवर्धनपुर, लंढौरा, रायसी और झबरेड़ा प्रमुख हैं। इन क्षेत्रों में भी शीघ्र तैनातियां कर पशुपालकों को समय पर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

विभाग द्वारा कुल 14 पृष्ठों में अस्पतालों की स्थिति और 4 पृष्ठों में रिक्तियों को भरने की कार्यवाही का विवरण साझा किया गया है।

इन नियुक्तियों से पशुधन की देखरेख और इलाज की व्यवस्था सुदृढ़ होगी, साथ ही पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आने की उम्मीद है। यह कदम राज्य सरकार की पशुपालन क्षेत्र को प्राथमिकता देने की मंशा को स्पष्ट करता है।

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