लालकुआं तहसील में अव्यवस्था हावी, जनता आंदोलन की राह पर

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लालकुआं तहसील में अधिकारियों की भारी कमी, जनता बेहाल

लालकुआं। जनसंख्या की दृष्टि से तेजी से विकसित हो रहे लालकुआं क्षेत्र में तहसील की स्थिति बद से बदतर हो गई है। अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं प्रमाण पत्र बनाने से लेकर भूमि संबंधी कार्य तक, हर छोटे काम के लिए लोगों को महीनों तक भटकना पड़ रहा है।

79 गांवों की जिम्मेदारी महज तीन पटवारियों पर, नायब तहसीलदार तक नहीं

वर्तमान में नैनीताल जिले को महज चार तहसीलदारों के सहारे चलाया जा रहा है। लालकुआं तहसीलदार सप्ताह में केवल दो दिन—मंगलवार और गुरुवार—ही लालकुआं में बैठते हैं, वह भी तभी जब नैनीताल में कोई वीआईपी कार्यक्रम न हो इसके अलावा उन्हें नैनीताल तहसील और विशेष भूमि अध्यापति अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार भी देखना पड़ता है। नतीजा यह कि लालकुआं तहसील का अधिकांश काम अधर में लटका रहता है।

सबसे बड़ी समस्या यह है कि तहसील में नायब तहसीलदार तक की नियुक्ति नहीं है दस्तावेजों पर हस्ताक्षर न होने से साधारण प्रमाण पत्र भी समय पर जारी नहीं हो पा रहे। कई कर्मचारी कंप्यूटर संचालन तक का ज्ञान नहीं रखते, जिससे कार्यप्रणाली बेहद सुस्त हो गई है।

लालकुआं तहसील के 79 गांवों का बोझ केवल तीन पटवारियों पर है। इनमें से एक पटवारी का तीन माह पूर्व ही तबादला हो चुका है, लेकिन वह अब भी यहीं जमे हुए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पात्र लाभार्थियों—जैसे विधवाएं और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार—को जानबूझकर प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जा रहे।

उप जिलाधिकारी भी केवल कभी-कभार तहसील पहुंचते हैं और न्यायिक कार्यवाही व प्रमाण पत्रों तक ही सीमित रहते हैं। बाकी कार्यों के लिए लोगों को हल्द्वानी का चक्कर लगाना पड़ता है।

स्थानीय जनता का कहना है कि यदि जल्द ही लालकुआं तहसील में नायब तहसीलदार, स्थायी तहसीलदार व उप जिलाधिकारी की तैनाती नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।


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