दैनिक जागरण ग्रुप के गुप्ताज के बीच आपस में कुछ तो गड़बड़ चल रहा है। एक अख़बार में नोटिस तक छपवा दिया गया है। कुछ एक वेबसाइट्स में भी जागरण ग्रुप के मालिकों के बीच झगड़े को लेकर खबरें प्रकाशित हुई है।
कुछ जागरण विशेषज्ञ पूरा क़िस्सा भड़ास को बताते हैं कि गुप्ता खानदान में गुप्त रूप से एक झगड़ा शुरू हुआ जो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जाने के बाद अब गुप्त नहीं रह गया है…
अख़बार में प्रकाशित इस नोटिस से साफ़ है कि शेष सभी गुप्ताज ने मिलकर बुजुर्ग महेंद्र मोहन गुप्ता को सड़क पर ला पटकने की तैयारी कर ली है।
अपनी ताक़त ख़त्म किए जाते देख महेंद्र मोहन गुप्ता और उनके पुत्र शैलेश गुप्ता एनसीएलटी पहुँचे। इसके बाद वेबसाइट्स में खबरों का छपना शुरू हो गया और जागरण के मालिकों का आपसी झगड़ा सरेआम हो गया।
दैनिक जागरण’ समाचार पत्र की स्थापना पूरन चंद्र गुप्ता ने की थी। उनके निधन के बाद उनके कानूनी उत्तराधिकारियों की छह शाखायें निकलीं। ये छह ‘गुप्ता परिवार’ ही पारिवारिक व्यवसाय को नियंत्रित करता है।जागरण मीडिया नेटवर्क इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी जागरण प्रकाशन लिमिटेड दैनिक जागरण अखबार प्रकाशित करती है।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद पीठ ने हाल ही में जागरण मीडिया नेटवर्क इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक महेंद्र मोहन गुप्ता और उनके बेटे शैलेश गुप्ता की एक याचिका स्वीकारी जिसमें कंपनी में बहुसंख्यक शेयरधारकों द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है। एनसीएलटी ने दायर याचिका के आधार पर नोटिस जारी किया।आदेश पारित करते हुए प्रवीण गुप्ता (सदस्य, न्यायिक) और आशीष वर्मा (सदस्य, तकनीकी) की एनसीएलटी पीठ ने याचिका में कोई अंतरिम राहत देने से परहेज किया। पीठ ने नोटिस जारी किया और सभी पक्षों को एक निश्चित समय सीमा में दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया।याचिकाकर्ताओं महेंद्र मोहन गुप्ता और उनके बेटे शैलेश गुप्ता ने एनसीएलटी के समक्ष दायर याचिका में जागरण मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड की प्रस्तावित बोर्ड बैठक पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें बोर्ड ने सूचीबद्ध कंपनी की बैठकों में प्रतिनिधित्व के लिए सदस्यों को नामित करने का प्रस्ताव दिया था।महेंद्र मोहन गुप्ता का दावा है कि वह निजी कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधि हैं और उन्हें सूचीबद्ध कंपनी की बैठकों या अन्य जगहों पर इसका प्रतिनिधित्व करने का विशेष अधिकार है।
हालाँकि, परिवार की अन्य शाखाएँ उनके दावे से सहमत नहीं हैं। ट्रिब्यूनल ने प्रस्तावित बोर्ड बैठक पर रोक नहीं लगाई लेकिन याचिका के प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश एन. साल्वे, अरुण कठपालिया, कृष्णेंदु दत्ता, श्री अनुराग खन्ना के साथ-साथ अधिवक्ता सुनील फर्नांडीस, वरद नाथ, रजत जरीवाल, प्रेरणा सिंह, नस्तासिया खुराना और आयुषी खुराना ने किया।गुप्ता परिवार (प्रतिवादियों) के बहुसंख्यक शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व और सलाह देने वाली कानूनी टीम में रूबी सिंह आहूजा, विशाल गहराना, हैंसी मैनी, ताहिरा करंजावाला, आशुतोष पी. शुक्ला, मेघा दुगर शामिल थे, जो सभी करंजावाला एंड कंपनी के वकील हैं। प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, डॉ. यू.के. चौधरी, नवीन सिन्हा और अमित सक्सेना ने मामले पर बहस की। प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता राहुल अग्रवाल और यशोनिधि शुक्ला भी उपस्थित हुए।
समाचार भड़ास मीडिया से