ये महाराष्ट्र कैडर के IPS मनोज शर्मा हैं. 2005 बैच के IPS मनोज की कहानी बेहद संघर्षशील है.
ये मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के रहने वाले हैं. पढ़ाई के दौरान ही ये नौवीं, दसवीं और 11वीं में थर्ड डिवीजन में पास हुए थे. फिर ये 12वीं में फेल हो गए. 12वीं में फेल होने के बाद रोजी रोटी के लिए टेंपो चलाते थे.कुछ दिन बाद ये अपने घर से ग्वालियर गए. यहां पैसे और खर्च न होने के कारण मैं मंदिर के भिखारियों के पास सोते. फिर ऐसा वक्त भी आया जब इनके पास खाने तक को नहीं होता था. लेकिन यहां लाइब्रेरियन कम चपरासी का काम मिल गया. जब कवियों या विद्वानों की सभाएं होती थीं तो उनके लिए बिस्तर बिछाना और पानी पिलाने का काम करते थे.किसी तरह संघर्ष करके दिल्ली तक आ गए. यहां आकर भी पैसे की जरूरत थी तो बड़े घरों में कुत्ते टहलाने का काम मिल गया. वहां 400 रुपये प्रति कुत्ता खर्च मिल जाता था. इन्हें श्रद्धा नामक लड़की से प्यार था. उससे शादी करने के लिए इन्होंने कुछ बड़ा करने की ठाना. इसके बाद इन्होंने तैयारी शुरू की और चौथे अटेम्प्ट में IPS बन गए. अब इन पर फ़िल्म आ रही है.भड़ास मिडिया से