एक परी फिर कफन में लिपट चुकी है।
क्या मर्द और क्या ताकत मर्दानगी क्या होती है ये अब हमे दिख चुकी है।
दरिंदगी की हर हद पार हो चुकी है।पर दुनिया अब भी बस चुपचाप ही खड़ी है।
वो दौर अब नही जहां केवल स्त्री हरण से पूरी लंका राख हो गई।
यह वह दौर है जहां इंसानियत की हर हद पार हो गई।
साक्षी के केस की स्याही सुखी नहीं, फिर एक और बेटी हमेशा के लिए सो गई।
देखें खुदा तेरी बनाई दुनिया में अब लड़कियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर हो गई।
और अब भी वह सही नहीं,अब बोले उसने भरोसा क्यों किया?फिर एक और बार बेटी ही गलत हो गई।
कोई काट कर फ्रिज में रख रहा है कोई सरेआम बेरहमी से मन भर जाने तक चाकू से पत्थरों से कुचल जाने तक मार रहा है।यह काफी नहीं था कि अब इंसान इंसान को काट कर उबालकर रास्ते पर कुत्तों को खिला रहा है।
संभलकर बेटियो,इस त्योहारों के देश में अब बेटियों को बेरहमी से मारने का त्योहार आ रहा है।
- लेखिका
सिया जीना
चाइल्ड़ सैक्रेड़ सीनियर सेकेंडरी की साथी।
राजीव नगर बिन्दुखत्ता लालकुआं नैनीताल उत्तराखंड।