ग्राम ढेला के पंजाबपुर गांव के बाहर बच्चों के खेल के मैदान के पास लकड़ी एकत्र कर रही कला देवी 50 वर्ष पर अचानक आदमखोर टाइगर ने हमला कर दिया। उसके साथ लकड़ियां बीन रहीं महिलाओं ने उसके मुंह से हट की आवाज सुनी। जब तक उन्होंने देखा टाइगर उसे खींचकर 1 किलोमीटर दूर ले गया था।
आक्रोशित ग्रामीणों ने कला की लाश को उठाने से ही इंकार कर दिया है। मौके पर पार्क प्रशासन ने पिंजरा लगा दिया है।मौके पर पहुंचे संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती में कला की मौत के लिए कार्बेट प्रशासन व उत्तराखंड सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 महीने में आदमखोर ने चार महिलाओं को मार दिया है तथा लगभग आधा दर्जन लोगों को घायल दिया है परंतु सरकार व प्रशासन ना तो टाइगर को पकड़ रहे हैं और ना ही मार रहे हैं।
महिला एकता मंच की सरस्वती जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में जंगली जानवरों का आतंक चरम पर है। उनसे सुरक्षा के सवाल को लेकर कल 18 फरवरी को ग्राम कानिया में एक जन सम्मेलन बुलाया गया है इसमें बैठकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने क्षेत्र की जनता से 18 फरवरी को दिन में 11 बजे ग्राम कानिया पहुंचने की अपील की है।महेश जोशी ने कहा कि अब पानी सब के ऊपर से गुजर गया है सरकार टाइगर बढ़ने की खुशियां मना रही है।
ऐसे में अब जनता को ही अपनी सुरक्षा के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि टाइगर तेंदुए जैसे हिंसक जानवरों की संख्या उत्तराखंड में बहुत अधिक हो गई है अतः इन्हें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1973 की संरक्षित अधिसूची से बाहर किया जाए तथा इन्हें पकड़ कर दूसरे देशों में ले जाया जाए अथवा इनकी दक्षिण अफ्रीका की तर्ज पर इनकी बैलेंस हंटिंग करवाई जाए।