यहां सरकारी कर्मचारी, सरकारी जमीन, पर कब्जा नहीं हटा पाया राजस्व विभाग.

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सरकारी कर्मचारी, सरकारी जमीन, पर कब्जा नहीं हटा पाया राजस्व विभाग
-राजस्व और बंदोबस्ती विभाग ने चिह्नित किया था कब्जा, तीन माह से फाइल दबा के बैठे हैं कर्मचारी

■ नारायण सिंह रावत

सितारगंज। क्षेत्र में तीन सरकारी कर्मचारियों के सरकारी ज़मीन पर किये गए कब्जे को विभाग के महीने में नहीं हटा पाया। नगर के बीचोबीच बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर तीनों ने वहां मकान भी बना लिया। जांच में यहां अवैध कब्जों की पुष्टि होने के बाद विभाग के कर्मचारी फाइल दबा कर बैठे हैं। बंदोबस्ती विभाग ने इसे तोड़ने के लिए एसडीएम को पत्र लिखा था। इस जमीन का पूरा ब्योरा तैयार किया गया था।


उत्तराखंड सरकार एक तरफ तो अवैध कब्जों पर बुलडोजर चला रही है तो दूसरी और सरकारी कर्मचारी ही सरकारी जमीनों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। सितारगंज शहर में तीन सरकारी कर्मचारियों ने नगर के बीचोंबीच करोड़ों की बेशकीमती सरकारी भूमि पर बकायदा पक्के भवन निर्मित कर लिए हैं। हालांकि यह कब्जा ताजा नहीं वर्षों पुराना है, लेकिन शहर के मध्य बेशकीमती जमीन पर पक्के निर्माण होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने लापरवाही बरती।

मामला नगर के किच्छा मार्ग स्थित गन्ना सोसायटी भवन के पास पड़े खाता संख्या 274 के खेत संख्या 71/1 का है। उक्त भूमि का कुल रकबा0.252 है जिसमे से 0.0057 हेक्टेयर जमीन पशुपालन विभाग को हस्तांतरित की जा चुकी है। शेष भूमि पर सेवा निवृत खंड विकास अधिकारी, सेवा निवृत लिपिक व वर्तमान में कार्यरत लिपिक ने अवैध कब्जा कर आवास बना लिए हैं।

उक्त कब्जेदारो ने आसपास में उक्त जमीन ब्लाक द्वारा उन्हें आवंटित होने की भ्रांति फैलाकर लोगों को गुमराह किया है। जबकि खण्ड विकास कार्यालय ने उक्त बयानों को खारिज़ कर दिया। ब्लॉक के अधिकारियों का कहना है कि उक्त स्थान पर विभाग की कोई जमीन ही नही है। ना ही इस तरह का कोई आवंटन अभिलेखों में दर्ज है। करीब 3 माह पहले इस जमीन की जांच और इस पर से कब्जा हटाने के लिए जोर शोर से तैयारी चली थी। बंदोबस्त के राजस्व निरीक्षक अंगद सिंह ने उस समय जांच कर अवैध कब्जों की पुष्टि की थी। जिसका अभिलेखों में उल्लेख है। तब इसकी जांच रिपोर्ट तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने बताया यह मामला बंदोबस्ती विभाग से मांगी थी। तहसीलदार को पत्र लिखकर भूमि के स्वामित्व के बारे में जानकारी मांगी गई थी।

3 महीने पहले तहसीलदार ने कहा था की जमीन पर अवैध कब्जा है इसके दस्तावेज बनाकर ध्वस्त करने की कार्यवाही की जाएगी। इसके बावजूद 3 महीने बीतने के बाद राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने तीनों अतिक्रमण की फाइल दबा ली। अब तक ना तो अतिक्रमण हटाया गया और ना ही फाइल आगे बढ़ी है। विभाग एक तरफ तो शहर में जहां कहीं अतिक्रमण होता है उसको तुरंत गिरा देता है जबकि सरकारी कर्मचारियों के कब्जे की पुष्टि होने के बाद कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।

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