
अंकिता हत्याकांड में आजीवन कारावास, परिजनों ने कहा- नहीं मिला न्याय, हाईकोर्ट में होगी चुनौती
कोटद्वार/देहरादून।
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने शुक्रवार को तीनों आरोपियों पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने तीनों दोषियों पर कुल ₹72,000- 72000 का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही पीड़िता के परिवार को ₹4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी पारित किया गया है।
परिवार ने फैसले को बताया ‘अधूरा न्याय’, हाईकोर्ट का रुख करेगा परिजन पक्ष
हालांकि, न्यायालय के इस फैसले से अंकिता भंडारी के परिजन संतुष्ट नहीं हैं। पिता वीरेन्द्र भंडारी ने साफ कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि आरोपियों को फांसी की सजा मिलेगी, लेकिन यह सजा उनकी बेटी की निर्मम हत्या के मुकाबले कम है। उन्होंने ऐलान किया है कि वे इस फैसले को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

अंकिता की मां सोनी देवी ने भी अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा, “हमारी बेटी के साथ जो हुआ, वह एक अमानवीय अपराध था, और हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक उसे पूरी तरह न्याय नहीं मिल जाता।”

रेणु बिष्ट और आरएसएस नेता अजेय कुमार पर उठे सवाल
परिवार ने सुनवाई के बाद विधायक रेणु बिष्ट और आरएसएस नेता अजेय कुमार की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। इस विषय में विस्तृत बयान आने की प्रतीक्षा की जा रही है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि जनता के बीच गुस्से की लहर एक बार फिर उफान पर है।
हत्या, सबूत मिटाने और यौन उत्पीड़न के दोषी करार
शासकीय अधिवक्ता अवनीश नेगी के अनुसार अदालत ने तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 354ए (यौन उत्पीड़न) तथा अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम (ITPA) की धारा 3(1)d के तहत दोषी माना है।
पुलकित आर्य को इन सभी धाराओं में दोषी ठहराया गया है, जबकि सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या, सबूत मिटाने और ITPA की धारा के तहत दोषी माना गया।

देशभर में उबाल, इंसाफ की जंग जारी
18 सितंबर 2022 को यमकेश्वर के चीला नहर में धक्का देकर अंकिता की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उसके बाद उत्तराखंड सहित पूरे देश में जबरदस्त जन आक्रोश देखने को मिला था। सैकड़ों प्रदर्शन हुए, सोशल मीडिया पर न्याय की मांग गूंजती रही। इस केस में पुलिस ने लगभग 500 पृष्ठों की चार्जशीट दाखिल की और दर्जनों से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए गए।

यह मामला केवल एक लड़की की हत्या नहीं, बल्कि हमारी न्याय प्रणाली, सामाजिक नैतिकता और सत्ता के प्रभाव पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। इस निर्णय के बाद उत्तराखंड के जनमानस में पीड़ा और आक्रोश एक बार फिर गहराया है।

आगे क्या?
अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हैं, जहां परिवार की ओर से फांसी की मांग के साथ मामला पहुंचेगा। क्या अंकिता को पूरा न्याय मिल पाएगा? यह सवाल अब हर किसी के जहन में है।
मामले की पृष्ठभूमि:
अंकिता भंडारी, जो ऋषिकेश के पास वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थीं, की 18 सितंबर 2022 को हत्या कर दी गई थी। उनका शव 24 सितंबर 2022 को चीला नहर से बरामद हुआ था। पुलिस जांच में पाया गया कि अंकिता को ‘वीआईपी’ ग्राहकों को ‘अतिरिक्त सेवाएं’ देने के लिए मजबूर किया जा रहा था, जिसका विरोध करने पर उनकी हत्या कर दी गई।
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